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इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: कहा- कोरोना मरीज का इलाज के दौरान मौत होने पर वजह कोविड ही माना जाए

इलाहाबाद हाईकोर्ट में कुसुम लता यादव और कई अन्य लोगों द्वारा दायर रिट याचिकाओं को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने राज्य के अधिकारियों को यह निर्देश दिया है। न्यायालय ने कहा कि 30 दिन की अवधि के भीतर कोविड पीड़ितों के आश्रितों को अनुग्रह राशि का भुगतान जारी करें।

प्रयागराजJul 30, 2022 / 11:29 pm

Sumit Yadav

इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: कहा- कोरोना मरीज का इलाज के दौरान मौत होने पर वजह कोविड ही माना जाए

इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: कहा- कोरोना मरीज का इलाज के दौरान मौत होने पर वजह कोविड ही माना जाए

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना मरीजों से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण फैसला लिया है। मामले में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्णय लेते हुए कहा कि कोविड -19 के तौर पर मरीज भर्ती हो जाने पर उसकी मौत का कोई भी वजह हो, परन्तु उसकी मौत अन्य बीमारी से नहीं मानी जाएगी। फिर चाहे हृदय गति रुकने या किसी अन्य अंग के कारण मृत्यु हुई हो। उसकी मौत कोविड-19 के कारण ही मौत मानी जाएगी।
कोविड पीड़ितों दी जाए भुगतान राशि

इलाहाबाद हाईकोर्ट में कुसुम लता यादव और कई अन्य लोगों द्वारा दायर रिट याचिकाओं को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने राज्य के अधिकारियों को यह निर्देश दिया है। न्यायालय ने कहा कि 30 दिन की अवधि के भीतर कोविड पीड़ितों के आश्रितों को अनुग्रह राशि का भुगतान जारी करें। अगर एक माह में राशि का भुगतान नहीं किया गया तो नौ प्रतिशत ब्याज सहित भुगतान करना होगा।
यह फैसला देते हुए, अदालत ने कहा कि हम पाते हैं कि कोविड -19 के कारण अस्पतालों में होने वाली मौतें पूरी तरह से प्रमाण की कसौटी पर खरी उतरती हैं। यह तर्क कि हृदय की विफलता या अन्यथा का उल्लेख करने वाली चिकित्सा रिपोर्ट को कोविड-19 के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। अदालत को इस कारण से प्रभावित नहीं करता है कि कोविड -19 एक संक्रमण है, जिसके परिणामस्वरूप किसी भी अंग को प्रभावित करने से व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है, चाहे वह फेफड़े हों या दिल आदि।
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अदालत ने निर्देश दिया कि प्रत्येक याचिकाकर्ता, जिनके दावों को यहां अनुमति दी गई है, उसे 25000 रुपये का भुगतान किया जाए।याचिकाकर्ताओं ने 1 जून, 2021 के सरकारी आदेश के खंड 12 को मुख्य रूप से इस आधार पर चुनौती दी थी कि यह अधिकतम सीमा प्रदान करता है, जो केवल 30 दिनों के भीतर मृत्यु होने पर मुआवजे के भुगतान को प्रतिबंधित करता है।
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