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नोएडा पटवारी गांव में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण मामले में जवाब तलब, हाईकोर्ट की अन्य खबरें

locationप्रयागराजPublished: Jul 02, 2018 10:56:14 pm

Submitted by:

Akhilesh Tripathi

याचिका को सुनवाई के लिए पांच हफ्ते बाद पेश करने का निर्देश दिया है।

इलाहाबाद. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर, नोएडा के पटवारी गांव में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका और राज्य सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है और याचिका को सुनवाई के लिए पांच हफ्ते बाद पेश करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति डी.बी.भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वमा की खण्डपीठ ने वेदयादव की जनहित याचिका पर दिया है। याची के वरिष्ठ अधिवक्ता एच.एन.सिंह का कहना था कि नोएडा अथॉरिटी के लिए जमीन अधिग्रहीत की गयी विपक्षी ने मुआवजा भी ले लिया।
जमीन की वापसी की राज्य सरकार से की गयी मांग अस्वीकार करने के खिलाफ याचिका भी खारिज कर दी गयी। इसके बाद जमीन सरकार के अधीन है किन्तु उस पर विपक्षीगण ने अवैध रूप से अतिक्रमण कर हॉस्टल, भवन निर्माण कर लिया है। विपक्षी अधिवक्ता चंदन शर्मा का कहना था कि याची व विपक्षी के बीच विवाद न्यायालय में चल रहा है जिसकी वजह से दुरभिसंधि कर याचिका दाखिल की गयी है। याचिका पोषणीय नहीं है किन्तु कोर्ट ने इसे नहीं माना।
कोर्ट ने पूछा है कि क्या सरकारी जमीन का अतिक्रमण किया गया है? याचिका की सुनवाई पांच हफ्ते बाद होगी।


एयरफोर्स अधिकरण नियमावली की वैधता चुनौती याचिका खारिज
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एयरफोर्स अधिकरण नियमावली के नियम 34 से 37 की वैधता की चुनौती याचिका खारिज कर दी है। याची का कहना था कि इस नियम के तहत अधिकरण के चेयरमैन ने परिपत्र जारी कर सुनवाई के लिए नोटिस जारी कर मंजूर याचिकाओं में प्लीडिंग कम्पलीट करने के बाद अधिकरण में पेश करने के लिए रजिस्ट्रार को अधिकृत किया गया है। यह परिपत्र मूल अधिनियम के उपबंधों के विपरीत है। कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने अमित कुमार अधिवक्ता की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता एस.के.पाण्डेय व भारत सरकार के अधिवक्ता अशोक सिंह ने बहस की। याची का कहना था कि याचिका की सुनवाई प्रक्रिया पूरी करने का अधिकार अधिकरण को है। रजिस्ट्रार को दोनों पक्षों की प्लीडिंग कम्प्लीट करने का अधिकार देने से वादकारियों को न्याय मिलने में देरी होगी। क्योंकि प्लीडिंग पूरी होने में अनावश्यक देरी का खामियाजा वादकारी को भुगतना पड़ेगा। जवाब व प्रति जवाब दाखिल करने की प्रक्रिया व आदेश अधिकरण द्वारा ही दिये जा सकते हैं। निबंधक को अधिकार देना मूल कानून के विपरीत है। कोर्ट ने तर्क को नहीं माना और कहा निबंधक को सुनवाई में सहयोग करना गलत नहीं है।
ब्लैकमेलिंग व धोखाधड़ी के आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पोर्नसाइट पर आपत्तिजनक वीडियो डालकर ब्लैकमेल करने व धोखाधड़ी करने के आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है और याचियों को पुलिस विवेचना में पूरा सहयोग करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से यह जानकारी मांगी है कि आपत्तिजनक वीडियो किसने पोर्न साइट पर अपलोड किया है? क्योंकि दोनों पक्ष एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने नोएडा गौतमबुद्ध नगर के पवन झुरानी व एक अन्य की याचिका पर दिया है। मालूम हो कि एक महिला कर्मी ने एक कंपनी के अधिकारी विवेक कुमार अखिल की हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगा रखी है। आपत्तिजनक वीडियो पोर्नसाइट पर डालने ब्लैकमेल करने की धमकी को लेकर विवेक कुमार अखिल ने याचियों के खिलाफ नोएडा के सेक्टर 20 थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी है। आरोप लगाया है कि महिला ने 60 हजार मांग और एक मुश्त बीस लाख देने पर पोर्नसाइट पर वीडियो अपलोड न करने की ब्लैकमेलिंग की जिसमें याचियों ने महिला के साथ मिलकर साजिश की।
कोर्ट ने कहा कि दोनों मामले जुड़े हैं। इसलिए विवेचना की प्रगति की जानकारी दी जाए और पता लगाये कि वीडियो पोर्नसाइट पर किसने अपलोड किया है। सुनवाई दस जुलाई को होगी।

BY- Court Corrospondence
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