कोर्ट ने गृह विभाग के संयुक्त सचिव के उस हलफनामें को खारिज कर दिया जिसमें सही वस्तुस्थिति न बताकर गोल-मटोल हलफनामा दाखिल किया गया था। यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चन्द्रा ने अन्तरिक्ष सिंह व कई अन्य की याचिका पर दिया है।
न्यायालय ने इस पूरे मामले पर 05 अक्टूबर को फिर से सुनवाई करने का निर्देश दिया है। मामले के अनुसार पुलिस विभाग में मृत पुलिस कर्मियों की 10 साल में विभिन्न कारणों से हुई मौतों व उनके आश्रितों को नौकरी देने को लेकर विस्तृत आख्या हाईकोर्ट ने पूर्व में 31 जुलाई 2013 को न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने मांगी थी।
सरकार ने इस आदेश के खिलाफ दो जजों के यहां अपील की थी परन्तु वहां भी उन्हें सूचनाएं कोर्ट में मुहैया कराने से राहत नहीं मिली। पुलिस विभाग में सेवाकाल में मृृत पुलिस कर्मियों के आश्रितों को नौकरी व मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से भेदभाव कर दी गयी सहायता राशियों को लेकर याचिका में मुद्दा उठाया गया है। कोर्ट ने भी इस मुद्दे को गम्भीर मानते हुए विस्तृत आदेश किया तथा सरकार से इस सम्बन्ध में विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी।
अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि गृह विभाग के संयुक्त सचिव ने जो 26 जुलाई 2017 को हलफनामा दिया है वह अधूरा व गोलमटोल है और इस हलफनामे में वस्तुस्थिति को छिपाया गया है। बहरहाल कोर्ट इस मामले को लेकर गम्भीर है इस नाते 5 अक्टूबर को पहली केस के रूप में इस केस की सुनवाई करेगा। इस बीच प्रमुख सचिव गृह से मृत पुलिस कर्मियों को लेकर मागी विस्तृत सूचनायें कोर्ट में मुहैया कराने का निर्देश दिया ।