जमानत याचिका पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने मृतका की बहन के गवाही को भी ध्यान में रखा। जिसने बयान दिया था कि लगभग तीन दिन पहले मृतका ने उसे फोन किया था और अपने बेटे से मिलने की इच्छा जाहिर की थी। साथ ही यह भी कहा था कि उसका पति उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित करता है और उसे अपने बेटे से मिलने की अनुमति नहीं दे रहा है। अदालत ने कहा कि सह-आरोपी रजनी सिंह ने भी स्वीकार किया है कि 13 जनवरी 2020 को मृतका अपने बेटे को वापस लाने के लिए जोर दे रही थी, जो उसके पूर्व पति इस्लाम के साथ रह रहा था। आरोपित ने उसे अपने बेटे से नहीं मिलने दिया तो उसने कुछ जहरीला पदार्थ खा लिया। रिपोर्ट में बताया गया है कि जहर खाने के बाद उसकी हालत बिगड़ी तो उसका पति उसे लेकर जिला अस्पताल मुरादाबाद गया और फिर सनराइज अस्पताल में भर्ती कराया। तीर्थकर मेडिकल यूनिवर्सिटी में शिफ्ट करने दौरान उसकी रास्ते में मौत हो गई।
मृतका के भाई ने दर्ज कराई थी प्राथमिकी
मृतका के भाई ने अपने बहनोई के खिलाफ आईपीसी की धारा 498ए, 304बी और डी.पी एक्ट की धारा 3/4 के तहत प्राथमिकी दर्ज करवाई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि महिला ने आवेदक से लगभग छह महीने पहले शादी की थी और यह उसकी तीसरी शादी थी, जबकि उसकी पहली शादी से उसका एक बेटा था। दहेज की मांग को लेकर उसका पति और अन्य ससुरालीजन अक्सर उसे प्रताड़ित करते थे। प्राथमिकी में यह भी आरोप लगाया गया कि 13 जनवरी 2020 को साजिश रचने के बाद आरोपी व्यक्तियों ने उसे कुछ जहरीला पदार्थ खिलाया और उसकी हत्या कर दी। मामले में पुलिस की ओर से पेश चार्जशीट में आरोपित को सीआरपीसी की धारा 173 (2) के तहत आईपीसी की धारा 306 के तहत दोषी बताया गया।
मृतका के भाई ने अपने बहनोई के खिलाफ आईपीसी की धारा 498ए, 304बी और डी.पी एक्ट की धारा 3/4 के तहत प्राथमिकी दर्ज करवाई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि महिला ने आवेदक से लगभग छह महीने पहले शादी की थी और यह उसकी तीसरी शादी थी, जबकि उसकी पहली शादी से उसका एक बेटा था। दहेज की मांग को लेकर उसका पति और अन्य ससुरालीजन अक्सर उसे प्रताड़ित करते थे। प्राथमिकी में यह भी आरोप लगाया गया कि 13 जनवरी 2020 को साजिश रचने के बाद आरोपी व्यक्तियों ने उसे कुछ जहरीला पदार्थ खिलाया और उसकी हत्या कर दी। मामले में पुलिस की ओर से पेश चार्जशीट में आरोपित को सीआरपीसी की धारा 173 (2) के तहत आईपीसी की धारा 306 के तहत दोषी बताया गया।