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प्रयागराज

HC का फैसला: आर्य समाज की शादी कानूनी नहीं, सप्तपदी की रस्म से हो शादियां

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आर्य समाज की रस्मों से की गई शादी को अमान्य करार दिया है। फिर कौन सी शादी मान्य होगी?

प्रयागराजNov 25, 2022 / 03:04 pm

Gopal Shukla

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आर्य समाज में हुई शादी और वहां से मिलने वाले रजिस्ट्रेशन को वैध शादी के सर्टिफिकेट के तौर पर मानने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि आर्य समाज से मिलने वाला सर्टिफिकेट कानूनी तौर पर प्रभावी नहीं है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जस्टिस सूर्य प्रकाश केसरवानी और जस्टिस राजेंद्र कुमार-IV की पीठ ने यह टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि कानूनी शादी के सर्टिफिकेट के तौर पर मैरिज रजिस्ट्रेशन मान्य नहीं होगा।
आशीष की अर्जी के चलते कोर्ट तक पहुंचा मामला
हाईकोर्ट ने कहा कि लड़का और लड़की पक्ष की मौजूदगी में ही शादी हो होनी चाहिए, जिसमें सप्तपदी की रस्म पूरी हो चुकी हो। अगर विवाह वैध नहीं तो हिंदू मैरिज एक्ट 1955 की धारा 9 के अनुसार वैवाहिक अधिकारों की बहाली की अर्जी स्वीकार नहीं करना चाहिए।
अर्जी आशीष मौर्य की तरफ से दायर की गई थी। इससे पहले सहारनपुर की पारिवारिक अदालत ने आशीष की अर्जी खारिज कर दी थी। जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सही ठहराया।

कोर्ट ने कहा- सात फेरों की रस्म होनी जरूरी
हिंदू धर्म में शादी के दौरान सप्तपदी की भी प्रथा होती है। इसमें दूल्हा और दुल्हन सात फेरे लेने होते हैं। इन फेरों के दौरान सात वचन भी दिए जाते हैं। यह वचन दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे को वचन देते हैं। सप्तपदी प्रथा को आम भाषा में सात फेरों की रस्म भी कहते हैं।
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