कोर्ट ने कहा है कि कंट्रोल ऑर्डर के तहत गन्ना खरीद से 14 दिन के भीतर गन्ना मूल्य का भुगतान किए जाने की बाध्यता है।यदि 14 दिन में भुगतान नही होता तो 15 फीसदी ब्याज देना होगा। इस सख्त नियम के बावजूद किसानों को गन्ना मूल्य के लिए कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ रहे है। कोर्ट ने अधिकारियो के रवैये की आलोचना की है और कहा है कि जिन अधिकारियो पर गन्ना भुगतान की जिम्मेदारी है, उन्हें सोते रहने की अनुमति नही दी जा सकती। गन्ना मूल्य का भुगतान न करना न केवल किसानों का उत्पीड़न है वरन उन्हें अनावश्यक मुकदमेबाजी में धकेलना है।
अधिकारियों व गन्ना मिलों के कदाचार को रोकने के लिए बकाये गन्ना मूल्य का तुरन्त भुगतान कराया जाना जरूरी है। कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि आदेश का पालन नही किया जाता तो इसे जवाबदेह अधिकारी की कोर्ट के प्रति जवाबदेही होगी।
कोर्ट ने महानिबंधक को आदेश की प्रति मुख्य सचिव व् गन्ना आयुक्त लखनऊ को उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने याचियों के बकाये का भुगतान मय ब्याज के 15 दिन में किये जाने का निर्देश दिया है।याचियों का एक लाख 60 हजार 660 रूपये व् एक लाख एक हजार 814 रूपये चीनी मिल पर बकाया है। किसानों को भुगतान नहीं किया गया और किसानों द्वारा बैंक से लिए गए लोन की वसूली का दबाव डाला जा रहा है। जिस पर उन्होंने गन्ना मूल्य बकाये के भुगतान के लिए हाई कोर्ट की शरण ली थी। याचिका पर वी बी यादव व गन्ना समितियों की तरफ से अधिवक्ता रवीन्द्र सिंह व् राज्य सरकार की तरफ से आलोक सिंह ने पक्ष रखा ।
BY- Court Corrospondence