कोर्ट ने यह भी कहा है कि जिन आपराधिक मामले में अग्रिम जमानत या नियमित जमानत दी गई है और एक माह के भीतर उसकी अवधि पूरी हो रही है तो वह अगले एक माह तक जारी रहेगी। कोर्ट ने कहा है कि हाई कोर्ट या जिला अदालतों द्वारा यदि कोई ध्वस्तीकरणएया बेदखली आदेश जारी किया गया है तो वह अगले 1 माह तक निष्प्रभावी रहेगा। कोर्ट ने कोरोना वायरस के चलते गृह मंत्रालय द्वारा 24 मार्च 20 को जारी एडवाइजरी को देखते हुए कहा है कि राज्य सरकार या नगर निकाय या अन्य कोई ऐसी एजेंसी नागरिकों के खिलाफ ध्वस्तीकरण व बेदखली कार्रवाई करने में धीमा रुख अपनाएगी ए क्योंकि कोर्ट बंद हैं ।कोर्ट ने आदेश की प्रति प्रदेश के महाधिवक्ता एअपर सालीसिटर जनरल आफ इंडियाए सहायक सालीसिटर जनरल आफ इंडियाए राज्य लोक अभियोजक एवं बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के चेयरमैन को भेजे जाने का आदेश दिया है ।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने इस जनहित याचिका में जारी आदेश में कहा है कि 18 मार्च 2020 को 19ए20 और 21 मार्च को अवकाश घोषित करने का फैसला लिया गया था। जो इलाहाबाद और लखनऊ बेंच दोनों में लागू किया गया । इसके बाद यह अवधि 25 मार्च तक बढ़ा दी गई थी और पुनः 23 मार्च को अवकाश की अवधि 28 मार्च तक के लिए बढ़ा दी गई। इसी बीच 24 मार्च 2020 को देश के प्रधानमंत्री के उद्बोधन के बाद देश व्यापी लाक डाउन की घोषणा को देखते हुए हाईकोर्ट ने अनिश्चितकाल के लिए अदालती कामकाज बंद करने का फैसला लिया।हाई कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 226 एवं 227 के अंतर्गत मिली शक्तियों का प्रयोग करते हुए वादकारियों के हित में उनकी आवश्यकताओं को देखते हुए यह सामान्य समादेश जारी किए हैं। हाईकोर्ट का आदेश हाईकोर्ट के अलावा सभी जिला अदालतोंए हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत अंतर्गत आने वाले सभी अधिकरणो व न्यायिक संस्थाओं पर लागू होगा