यह आदेश एस.पी.केशरवानी ने राम नारायण, रामाशंकर, शहाबुद्दीन वसीम व सिराजउद्दीन की याचिका पर दिया हैं कोर्ट ने कहा है कि धर्मार्थ न्यास की किरायेदारी पर उ.प्र. शहरी भवन (किरायेदारी नियंत्रण एवं बेदखली) अधिनियम के उपबंध लागू नहीं हांेगे। कुछ या एक ट्रस्टी भी ट्रस्ट की सम्पत्ति से किरायेदारी की बेदखली का वाद दायर कर सकता है। रेंट कंट्रोल एक्ट इस मामले में लागू नहीं होगा। यहां तक कि लगातार किराया देने वाले किरायेदार को एक माह की नोटिस देकर बेदखली की जा सकती है। कोर्ट ने श्री ठाकुररंग जी महाराज ट्रस्ट को धर्मार्थ ट्रस्ट माना और कहा कि उस पर रेंट कंट्रोल एक्ट के उपबंध लागू नहीं हांेंगे। कोर्ट ने याचियों को चारों दुकानें छह माह में खाली करने का निर्देश दिया है।
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