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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- कोई भी भारतीय महिला अपने पति को बांटने नहीं हो सकती तैयार

locationप्रयागराजPublished: May 03, 2022 02:36:38 pm

Submitted by:

Sumit Yadav

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पति एवं उसके परिवार द्वारा दायर डिस्चार्ज आवेदन को खारिज करने के आदेश के खिलाफ दायर पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया है। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए कहा कि बेशक, मृतक ग्रामीण पृष्ठभूमि से आती है जिससे उसका पति उसके उद्धारकर्ता के रूप में आता है। कोई भी भारतीय महिला अपने पति को किसी भी कीमत पर बांटने को तैयार नहीं है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- कोई भी भारतीय महिला अपने पति को बांटने नहीं हो सकती तैयार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- कोई भी भारतीय महिला अपने पति को बांटने नहीं हो सकती तैयार

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एम मामले की सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि कोई भी भारतीय महिला अपने पति को बांटने को तैयार नहीं हो सकती है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पति की डिस्चार्ज करने की याचिका को खारिज करते हुए कहा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पति एवं उसके परिवार द्वारा दायर डिस्चार्ज आवेदन को खारिज करने के आदेश के खिलाफ दायर पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया है। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए कहा कि बेशक, मृतक ग्रामीण पृष्ठभूमि से आती है जिससे उसका पति उसके उद्धारकर्ता के रूप में आता है। कोई भी भारतीय महिला अपने पति को किसी भी कीमत पर बांटने को तैयार नहीं है।
वे सचमुच अपने पति के प्रति संवेदनशील हैं। किसी भी विवाहित महिला के लिए यह सबसे बड़ा झटका होगा कि उसके पति को कोई और महिला साझा कर रही है या वह किसी और महिला से शादी करने जा रहा है। ऐसी विकट स्थिति में उनसे किसी भी तरह की समझदारी की उम्मीद करना असंभव होगा। आंचल राजभर (मृतक) ने 22.09.2018 को सुशील कुमार, पति और उनके परिवार के सभी सदस्यों के खिलाफ धारा 323, 494, 504, 506, 379 आईपीसी के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई। उसने आरोप लगाया कि सुशील कुमार पहले से ही किसी अन्य महिला के साथ विवाहित था और उसके दो बच्चे हैं और उसे तलाक दिए बिना, इस तथ्य का खुलासा किए बिना उसने मृतक के साथ शादी कर ली।
शिकायतकर्ता आंचल राजभर ने उक्त प्राथमिकी दर्ज कर उसी दिन 22.09.2018 को कोई जहरीला पदार्थ खा लिया। जांच के बाद पुलिस ने धारा 494 आईपीसी को छोड़कर सभी नामित आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ धारा 323, 494, 504, 506, 379, 306, 498 A आईपीसी के तहत 20.11.2011 को धारा 173 (2) सीआरपीसी के तहत आरोप पत्र दायर किया।
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पति ने एक डिस्चार्ज आवेदन दायर किया, जिसे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, न्यायालय संख्या 5, वाराणसी ने खारिज कर दिया, इसके खिलाफ पति ने हाई कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर की। कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 227 और 228 के प्रावधानों को संयुक्त रूप से पढ़ने से यह स्पष्ट होगा कि मुकदमे की शुरुआत और प्रारंभिक चरण में अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तावित साक्ष्य की सच्चाई, सत्यता और प्रभाव को देखा जाना चाहिए ।

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