यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खण्डपीठ ने कृषि एवं ग्राम्य विकास संस्थान की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने विभाग के अधिकारियों द्वारा सरकारी धन की लूट मामले में कार्रवाई रिपोर्ट के साथ कोर्ट ने जवाबी हलफनामा मांगा था। कोर्ट ने पूछा था कि दोषी पाये गये अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की गयी? आठ साल से गबन मामले में दोषियों पर कार्रवाई लटकी हुई है। कोर्ट ने कई बार जवाब देने का समय दिया और आखिरी बार कहा कि यदि जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं होता तो प्रमुख सचिव हाजिर हो। इस आदेश का पालन नहीं किया गया। बार बार समय दिये जाने के बावजूद जवाब दाखिल न करने तथा तलब किये जाने पर भी हाजिर न होने पर कोर्ट ने जमानती वारण्ट जारी किया है।
अधिशासी अभियंता को सेवा नियमित करने पर निर्णय लेने का निर्देश इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अधिशासी अभियंता ग्रामीण अभियंत्रण सेवा को 1987 से टाइपिस्ट के रूप में कार्यरत याची को लिपिक पद पर नियमित किये जाने के संबंध में दो माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति राम सूरत राम मौर्या ने गजेन्द्र सिंह की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अश्वनी मिश्र ने बहस की। इनका कहना था कि 13 अगस्त 2015 व 11 अप्रैल 2016 के शासनादेश के तहत याची सेवा नियमितीकरण किये जाने का हकदार है। सेवा नियमावली के अंतर्गत भी याची नियमित होने का अधिकारी है। याची ने प्रत्यावेदन दिया है, जिस पर निर्णय नहीं लिया जा रहा है। जिला हरदोई के निवासी याची मिर्जापुर में ग्रामीण अभियंत्रण सेवा कार्यालय में कार्यरत है। उससे कनिष्ठ तीन कर्मचारियों को नियमित कर दिया गया। याची को पद खाली न होने के आधार पर नियमित नहीं किया गया। जिसे चुनौती दी गयी, जो खारिज हो गयी थी। इसके बाद शासनादेश आया जिसके आधार पर यह याचिका दाखिल की गयी थी।