यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने स्ट्रगल अगेंस्ट पेन के अध्यक्ष मनोज मिश्र की तरफ से दाखिल जनहित याचिका पर दिया है। याची अधिवक्ता आशुतोष मिश्र का कहना था कि प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया, साइन बोर्ड, पोस्टर्स में लिकर ब्रैंड का प्रचार किया जा रहा है, जो कानून के विपरीत है। संविधान के अनुच्छेद 47 में नशीले पदार्थो के प्रयोग को दवा के सिवाय, प्रतिबन्धित किया गया है किंतु राजस्व के लिए सरकार ऐसे विज्ञापनों पर रोक नहीं लगा रही है।
कोर्ट ने कहा 69 साल आजादी के बाद भी एक-दो राज्यों में ही संविधान की मंशा पूरी हो सकी है। तम्बाकू, शराब आदि नशीले पदार्थों से सरकार को भारी आय हो रही है। सरकार को जो कार्य सीधे करने का अधिकार नहीं है, उसे परोक्ष रूप से कर रही है। यह सरकार का सरोगेट विज्ञापन की तरह है जो शराब निर्माण व बिक्री करने वाली कम्पनियां कर रही है। कोर्ट ने कहा कि सीधे या परोक्ष रूप से शराब के प्रचार की अनुमति नहीं दी जा सकती, ऐसा करना आबकारी अधिनियम की धारा-3 का उल्लंघन करना है। कोर्ट ने आबकारी विभाग द्वारा कानून को कड़ाई से लागू न करने की निंदा की है और आदेश का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया है।
BY- Court Corrospondence