कोर्ट ने कहा है कि याची के प्रभाव के चलते विवेचनाधिकारी ने विवेचना की खानापूर्ति की है। वह गवाहों को धमकी दे रहा है। यदि जमानत पर रिहा किया गया तो यह समाज के हित के खिलाफ होगा। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने एआरटीओ राधेश्याम यादव की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि विवेचना अपराध की गई आरोपी की अकूत की कमाई का विवेचना में शामिल नहीं किया गया। यह प्रदेश की आपराधिक न्याय व्यवस्था को गंभीर क्षति पहुंचाने वाला है। याची को एक ट्रक ड्राइवर से धमका कर घूस लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की थी जिसके बाद 4 सितम्बर 20117 को कोर्ट ने संज्ञान भी ले लिया है। घटना की प्राथमिकी पुलिस ने ही दर्ज करायी है। याची सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर नियुक्त किया गया। उसने ट्रांसपोर्ट विभाग में इंस्पेक्टर प्रतिनियुक्ति पर तैनात हुआ और वह आरटीओ का इंचार्ज बन गया है।
कोर्ट ने कहा कि याची ने परिवार व घरेलू नौकरों के नाम चार घोस्ट कंपनियां स्थापित की, जो करोड़ों की है। बेटा अपूर्व यादव, बेटी ऋचा यादव व पूनम यादव, ड्राइवर महेन्द्र मौर्या, सी.ए एस.के द्विवेदी, पत्नी गंगोत्री देवी, कंपनियों के कर्ता धर्ता हैं। 70 करोड़ का वाराणसी में 3 स्टार वेस्ट इन होटल का डायरेक्टर ड्राइवर है। कई शहरों में सम्पत्ति है। 15 वाल्वो बसें, शापिंग माॅल, 12 करोड़ का गोरखपुर में होटल, दर्जनों फ्लैट हैं। सितम्बर 2011 में किरन सिंह के नाम 20 लाख की जमीन खरीदी। कोर्ट ने कहा कि इस नाजायज सम्पत्ति की जांच होनी चाहिए। एक छोटा अधिकारी करोड़ों का मालिक कैसे हो गया।