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इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, गंगा के अधिकतम बाढ़ बिन्दु से 500 मीटर तक नहीं किया जा सकता निर्माण

locationप्रयागराजPublished: Jan 03, 2019 11:04:57 pm

Submitted by:

Akhilesh Tripathi

गंगा भवन को ध्वस्त कर किए जा रहे निर्माण के खिलाफ याचिका पर सरकार व अन्य को नोटिस

allahabad High court

इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि प्रयाग में गंगा के अधिकतम बाढ़ बिंदु से 500 मीटर तक निर्माण पर रोक के आदेश के चलते स्थाई निर्माण नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि यदि आदेश अब भी प्रभावी है तो अथॉरिटी उसका पालन करने के लिए बाध्य हैं। कोर्ट ने प्राइवेट विवाद पर विचार न करते हुए अखिल भारतीय श्री पंचायती निर्वाणी अनी अखाड़ा हनुमानगढ़ी अयोध्या के महंत धर्मदास व दो अन्य विपक्षियों को नोटिस जारी की है। साथ ही राज्य सरकार, इलाहाबाद विकास प्राधिकरण, कुंभ मेला प्राधिकरण सहित विपक्षियों से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई 28 जनवरी को होगी।
यह आदेश जस्टिस पीकेएस बघेल तथा जस्टिस प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने दारागंज निवासी भालचंद्र जोशी व दो अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अंतरिक्ष वर्मा और विजय चंद्र श्रीवास्तव ने बहस की।

याची का कहना है कि दारागंज स्थित गंगा भवन को अखाड़े के महंत ने खरीद लिया है और भवन को ध्वस्त कर बिना नक्शा पास कराए हाईकोर्ट की रोक के आदेश के विपरीत नया भवन निर्माण करा रहे हैं । याची का यह भी कहना है कि गंगा प्रदूषण मामले में हाई कोर्ट ने 22 अप्रैल 2011 को गंगा से 500 मीटर के क्षेत्र में स्थाई निर्माण पर रोक लगा रखी है। इसके विपरीत अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध निर्माण किया जा रहा है । कुंभ मेला की तरफ से अधिवक्ता कार्तिकेय शरन ने पक्ष रखा।
राज्य सरकार के अधिवक्ता ने 24 अप्रैल 2018 का शासनादेश पेश किया। जिसमें सभी संस्थाओं और विभागों को अधिकतम बाढ़ जल स्तर के दृष्टिगत व नियमों, आदेशों का पालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि, हाईकोर्ट की स्थाई निर्माण पर लगी रोक बरकरार है तो सभी प्राधिकरणों को उसका पालन करना बाध्यकारी है। कोर्ट ने कहा है कि, प्राइवेट विवाद पर विचार किए बिना की गई कोर्ट की टिप्पणी लंबित किसी भी कार्रवाई पर कोई प्रभाव नहीं डालेगी।
BY- Court Corrospondence

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