यह आदेश जस्टिस पीकेएस बघेल तथा जस्टिस प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने दारागंज निवासी भालचंद्र जोशी व दो अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अंतरिक्ष वर्मा और विजय चंद्र श्रीवास्तव ने बहस की।
याची का कहना है कि दारागंज स्थित गंगा भवन को अखाड़े के महंत ने खरीद लिया है और भवन को ध्वस्त कर बिना नक्शा पास कराए हाईकोर्ट की रोक के आदेश के विपरीत नया भवन निर्माण करा रहे हैं । याची का यह भी कहना है कि गंगा प्रदूषण मामले में हाई कोर्ट ने 22 अप्रैल 2011 को गंगा से 500 मीटर के क्षेत्र में स्थाई निर्माण पर रोक लगा रखी है। इसके विपरीत अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध निर्माण किया जा रहा है । कुंभ मेला की तरफ से अधिवक्ता कार्तिकेय शरन ने पक्ष रखा।
राज्य सरकार के अधिवक्ता ने 24 अप्रैल 2018 का शासनादेश पेश किया। जिसमें सभी संस्थाओं और विभागों को अधिकतम बाढ़ जल स्तर के दृष्टिगत व नियमों, आदेशों का पालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि, हाईकोर्ट की स्थाई निर्माण पर लगी रोक बरकरार है तो सभी प्राधिकरणों को उसका पालन करना बाध्यकारी है। कोर्ट ने कहा है कि, प्राइवेट विवाद पर विचार किए बिना की गई कोर्ट की टिप्पणी लंबित किसी भी कार्रवाई पर कोई प्रभाव नहीं डालेगी।
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