आगरा की पूजा की अपील को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति राजीव जोशी ने अपीलार्थी के पति को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने के लिये कहा है। कोर्ट ने कहा है कि हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 (बी) के तहत सहमति से तलाक की डिक्री के खिलाफ सामान्यत: अपील नहीं दाखिल की जा सकती है। पर जब इसमें सहमति को लेकर ही विवाद हो, यह संदेह पैदा हो जाए कि सहमति स्वेच्छा से नहीं दी गयी तो चीजें बदल जाती हैं। यह ऐसे मामले की सुनवाई कर रहे न्यायालय की जिम्मेदारी है कि तलाक की डिक्री देने से पहले इस बात की जांच करे कि सहमति स्वेच्छा से बिना किसी दबाव के दी गयी है। न्यायालय को अपने संतुष्ट होने का रिकार्ड करना चाहिये। ताकि सहमति से तलाक देने के इस कानून का दुरुपयोग रोका जा सके।
मामले के मुताबिक अपीलार्थी पूजा और उसके पति ने आगरा परिवार न्यायालय में सहमति से तलाक की डिक्री के लिये याचिका दाखिल की थी। परिवार न्यायालय ने इस अर्जी पर तलाक की डिक्री दे दी। याची के वकील अंजनी कुमार दुबे का कहना था कि याची अपने पति के घर में ही थी। इसका लाभ उठाकर उस पर दबाव डालकर सहमति से कागजों पर हस्ताक्षर करा लिये गए। याची ने दबाव में सहमति दी है न कि स्वेच्छा से।
सरकार की पैरवी के लिये हुए नए वकीलों के चयन इलाहाबाद. लंबे समय से चली आ रही ऊहापोह की स्थिति को समाप्त करते हुए प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट और लखनऊ खंडपीठ में सरकार का पक्ष रखने के लिये 678 पैनल अधिवक्ताओं की बड़ी सूची जारी की है। वकीलों को इसका लंबे समय से इंतजार था। सूची में इलाहाबाद में आठ अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ताओं के नाम शामिल हैं, जबकि लखनऊ खण्डपीठ में एक मुख्य स्थायी अधिवक्ता और चार अपर मुख्य स्थायी बनाए गए हैं।
प्रमुख सचिव विधि कार्यालय से जारी सूची में इलाहाबाद के लिये 153 और लखनऊ पीठ के लिये 62 स्थायी अधिवक्ता दिये हैं। इसी तरह से इलाहाबाद में सिविल साइड में 105 और क्रिमिनल साइड में 87 वकीलों को वाद धारक बनाया गया है। लखनऊ खंडपीठ में सिविल साइड में 111 और क्रिमिनल साइड में 105 वकीलों को वाद धारक बनाया गया है। 22 वकील सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किये गए हैं।
प्रमुख सचिव विधि कार्यालय से जारी सूची में इलाहाबाद के लिये 153 और लखनऊ पीठ के लिये 62 स्थायी अधिवक्ता दिये हैं। इसी तरह से इलाहाबाद में सिविल साइड में 105 और क्रिमिनल साइड में 87 वकीलों को वाद धारक बनाया गया है। लखनऊ खंडपीठ में सिविल साइड में 111 और क्रिमिनल साइड में 105 वकीलों को वाद धारक बनाया गया है। 22 वकील सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किये गए हैं।
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