याची के अधिवक्ता का कहना था कि याची के पति की 57 वर्ष की आयु में मष्त्यु हो गयी थी। उसने ग्रेच्युटी भुगतान हेतु बीएसए आगरा के समक्ष प्रत्यावेदन दिया था। आठ जुलाई 2017 को बीएसए ने उसका प्रत्यावेदन 16 सितम्बर 2016 के शासनादेश का हवाला देकर निरस्त कर दिया। बीएसए के मुताबिक ग्रेच्युटी का भुगतान उन्हीं कर्मचारियों को किया जायेगा जिन्होंने शासनादेश के अनुसार साठ वर्ष की आयु में रिटायर होने का विकल्प भरा था। अधिवक्ता की दलील थी कि बीएसए का आदेश मनमाना है। याची को ग्रेच्युटी भुगतान का दावा नियमानुसार सही है। शासनादेश के प्रावधान ग्रेच्युटी भुगतान में बाधा नहीं है। कोर्ट ने कहा कि शासनादेश के तहत विकल्प नहीं भरने वाले कर्मचारियों का ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं रोका जा सकता। कोर्ट ने बीएसए का आदेश रद्द करते हुए याची को ब्याज सहित भुगतान करने का निर्देश दिया है।
जेई भर्ती में महिला आरक्षण को चुनौती
इलाहाबाद हाईकोर्ट में 2016 की कृषि विभाग में कनि.अभियंता की भर्ती में प्रदेश की ही महिलाओं को आरक्षण का लाभ देने को चुनौती दी गयी है। बिहार व उत्तराखण्ड की वर्षा सैनी व कई अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एम.के.गुप्ता ने सरकार को दो सप्ताह में पक्ष रखने का आदेश दिया है। याचिका में कहा गया है कि अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड ने कृषि विभाग में 172 जेई के पदों की भर्ती का विज्ञापन निकाला। लिखित परीक्षा व साक्षात्कार के बाद चयन परिणाम घोषित किया गया। याचियों को प्रदेश के बाहर की होने के कारण महिला कोटे में आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया।
by Prasoon Pandey