इलाहाबाद हाईकोर्ट की पीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि प्रतिवादियों की ओर से कॉर्पस पेश करने में विफलता है जो उनकी हिरासत में था और इस प्रकार, प्रथम दृष्टया, यह प्रतिवादी के अवैध हिरासत की तरह प्रतीत होता है। पूरा मामला वर्तमान बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट याचिका पिछले साल मई में उच्च न्यायालय के समक्ष दायर की गई थी, जिसमें प्रयागराज के टीबी सप्रू अस्पताल की हिरासत से 82 वर्षीय एक व्यक्ति को रिहा करने की मांग की गई थी। कोरोना काल में इलाज कराने के दौरान वह बुजुर्ग लापता हो गया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका राउल यादव ने अधिवक्ता अनुज सक्सेना और प्रकाश शर्मा के माध्यम से दायर की थी। जिसमें उनके पिता राम लाल यादव की रिहाई की मांग की गई थी और जो कथित तौर पर 8 मई, 2021 से उक्त अस्पताल से लापता है। याचिकाकर्ता का यह मामला था कि उसके पिता को कोरोना की जांच के बाद चार मई को टीबी सप्रू अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद 6 मई को याचिकाकर्ता पॉजिटिव पाया गया और उसे होम आइसोलेशन की सिफारिश की गई।
सुनवाईअगले दिन, उन्हें अस्पताल के अधिकारियों द्वारा सूचित किया गया कि उनके पिता को ऑक्सीजन के स्तर में तेज गिरावट के कारण ट्रॉमा सेंटर में स्थानांतरित किया जा रहा है और 8 मई को, उन्हें अस्पताल के अधिकारियों द्वारा सूचित किया गया कि उनके पिता लापता हैं।अदालत ने इस मामले में जारी अपने पिछले आदेशों को ध्यान में रखते हुए कहा कि उसके पास सभी प्रतिवादियों को अगले दिन अदालत के समक्ष कॉर्पस, राम लाल यादव को पेश करने का निर्देश दिया है।