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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरपीएफ सुरक्षा आयुक्त को आदेश का अनुपालन करने के लिए दिया एक हफ्ते का समय

locationप्रयागराजPublished: Apr 19, 2022 08:29:12 am

Submitted by:

Sumit Yadav

अपर सालिसिटर जनरल भारत सरकार शशि प्रकाश सिंह ने कोर्ट को बताया कि आदेश के अनुपालन की कार्यवाही की जा रही,कुछ का पालन कर दिया गया हैऔर शेष के पालन की कार्यवाही की जा रही है।एक हफ्ते में आदेश का पूरी तरह से अनुपालन कर दिया जायेगा।जिसपर कोर्ट ने मंगलवार 26 अप्रैल तक का समय दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरपीएफ सुरक्षा आयुक्त को आदेश का अनुपालन करने के लिए दिया एक हफ्ते का  समय

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरपीएफ सुरक्षा आयुक्त को आदेश का अनुपालन करने के लिए दिया एक हफ्ते का समय

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्य सुरक्षा आयुक्त रेलवे पुलिस बल पूर्वोत्तर रेलवे गोरखपुर सुनील कुमार श्रीवास्तव को आदेश का अनुपालन करने के लिए एक हफ्ते का अतिरिक्त समय दिया है। कोर्ट पहले ही इन्हें कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहरा चुकी है। अपर सालिसिटर जनरल भारत सरकार शशि प्रकाश सिंह ने कोर्ट को बताया कि आदेश के अनुपालन की कार्यवाही की जा रही,कुछ का पालन कर दिया गया हैऔर शेष के पालन की कार्यवाही की जा रही है।एक हफ्ते में आदेश का पूरी तरह से अनुपालन कर दिया जायेगा।जिसपर कोर्ट ने मंगलवार 26 अप्रैल तक का समय दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने आर पी एफ कांस्टेबल कृत्यानंद राय की अवमानना याचिका पर दिया है।
कोर्ट के आदेश पर मुख्य सुरक्षा आयुक्त हाजिर थे। कोर्ट ने याची की सेवा बहाली के साथ बकाया वेतन व सभी सेवा जनित परिलाभो के भुगतान का निर्देश दिया था। आवास भत्ता व डी ए न देने पर कोर्ट ने गंभीर रूख अपनाते हुए अवमानना का दोषी करार दिया था और एक एस जी आई के अनुरोध पर 24घंटे का समय दिया था। मालूम हो कि हाईकोर्ट ने याची की बर्खास्तगी को अनुच्छेद 311(1)के विपरीत होने के कारण 11अगस्त 15को रद्द कर दियाथा और सेवा में बहाली सहित सभी सेवा जनित परिलाभो का भुगतान करने का निर्देश दिया।जिसका पालन नहीं किया गया तो 2016मे अवमानना याचिका दायर की गई।पांच साल बाद कोर्ट के कड़े रूख पर याची को सेवा में बहाल किया गया।
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किन्तु परिलाभो का भुगतान नहीं किया गया। कोर्ट ने मुख्य सुरक्षा आयुक्त के खिलाफ अवमानना आरोप निर्मित कर कारण बताओ नोटिस दी कि क्यों न आदेश की अवहेलना करने पर सजा सुनाई जाय। इसके बाद हलफनामा दाखिल कर कहा कि भुगतान कर दिया गया है।जिसपर याची अधिवक्ता ने आपत्ति की और कहा कि केवल बकाया वेतन व डियरनेस भत्ते का ही भुगतान किया गया है।आवास किराया व डी ए का भुगतान नहीं किया गया है।जो आदेश का पूरी तरह से पालन नहीं है। कोर्ट ने कहा नियमावली में इन भत्तों को अलग नहीं किया गया है। भुगतान करने में कोई अवरोध भी नहीं है।यह नहीं है कि बर्खास्तगी से बहाल कर्मी आवास किराया व डी ए का हकदार नहीं हैं। इसलिए भुगतान न करना आदेश की अवहेलना करना है। सुनवाई 26अप्रैल को होगी।

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