उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है। उसका गोमांस या उसके उत्पादों या उसके परिवहन से कोई लेना देना नहीं है। सरकारी अधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए तर्क दिया कि बरामद मांस गोवंश से जुड़ा है और वह याची के घर से बरामद हुआ है, इसलिए वह जमानत पाने का अधिकारी नहीं है। कोर्ट ने तथ्यों और परिस्थितयों को देखते हुए याची को शर्तों के साथ जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। याची के खिलाफ पीलीभीत के पुरानपुर थाने में गोवध अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।