हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव समाज कल्याण मनोज कुमार सिंह से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है । सामाजिक कार्यकर्ता गोरख प्रसाद ने रिट याचिका दाखिल कर सरकार के इस शासनादेश को अवैध ठहराया था, जिस पर सोमवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राजीव मिश्र की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया । कोर्ट ने कहा कि सरकार को इस तरह का फैसला लेने का अधिकार नहीं है. सिर्फ संसद ही एससी-एसटी की जातियों में बदलाव कर सकती है
इन जातियों को एसी में किया गया था शामिल:
निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआ, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुहा और गौड़ । यह सभी ओबीसी कैटेगरी में थे।
निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआ, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुहा और गौड़ । यह सभी ओबीसी कैटेगरी में थे।
बता दें कि इन जातियों को एससी में शामिल करने के लिये काफी लंबे समय से मांग की जा रही है। इससे पहले सपा और बसपा की सरकारों ने भी इन जातियों को एससी में शामिल करने का प्रयास किया था, मगर कानूनी हस्तक्षेप की वजह से यह नहीं हो पाया था ।