यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर तथा न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खंडपीठ ने बाँदा निवासी सुशील त्रिवेदी की जनहित याचिका पर दिया है। मालूम हो कि 30 अगस्त 2019 को कोर्ट ने विशेष सचिव/सचिव बेसिक शिक्षा से हलफनामा मांगा था कि अध्यापकों को स्कूलों में तैनात करने के बजाय कार्यालय में सम्बद्ध क्यों किया जा रहा है। याची का कहना है कि ऐसा करने से स्कूलों की पढ़ाई को नुकसान हो रहा है। प्रमुख सचिव ने कोई हलफनामा नहीं दाखिल किया और अपनी तरफ से बेसिक शिक्षा अधिकारी बांदा का हलफनामा दाखिल कराया।
जिनमे मांगी गई जानकारी नही थी, इस पर कोर्ट ने प्रमुख सचिव से स्वयं हलफनामा दाखिल करने को कहा तो सरकारी वकील ने प्रमुख सचिव की तरफ से कोर्ट में अर्जी दाखिल कर 2 सप्ताह का समय मांगा ।
कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि या तो प्रमुख सचिव को अपने वैधानिक दायित्व का ज्ञान नहीं है या न्यायिक कार्रवाई में अनावश्यक रूप से बाधा उत्पन्न कर रहे हैं, ऐसा लगता है कि प्रमुख सचिव को कोर्ट के आदेश की परवाह नहीं है और वह सम्मान नहीं कर रहे है। कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए प्रमुख सचिव को बुधवार 23 अक्टूबर तक हलफनामा दाखिल करने का समय दिया, साथ ही स्पष्टीकरण के साथ कोर्ट में हाजिर होने का भी निर्देश दिया है।
BY- Court Corrospondence