समय से नहीं मिली थी जानकारी मामले में इससे पहले कोर्ट ने पुलिस से जानकारी मांगी थी। लेकिन समय से जानकारी नहीं दी गई तो पुलिस कमिश्नर को लापरवाह पुलिस के खिलाफ ऐक्शन लेकर रिपोर्ट देने तथा जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश कोर्ट ने दिया था। पालन नहीं किया गया तो एसएसपी वाराणसी को वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेश होने का आदेश देते हुए आदेश पालन का निर्देश दिया था। इस पर भी न जवाब दाखिल हुआ न हाजिर हुए। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जमानत अर्जी पर समय से जानकारी शासकीय अधिवक्ता को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। किसी को अनावश्यक रूप से जेल में बंद नहीं रखा जा सकता
डीजीपी को दिया आदेश मामले में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीजीपी को उचित पारदर्शी व्यवस्था अपनाने के लिए सर्कुलर जारी करने का भी आदेश दिया था। सर्कुलर जारी भी किया गया है किन्तु पुलिस केस की पहले से नोटिस मिलने के बावजूद जानकारी उपलब्ध नहीं करा रही है। जिससे जमानत अर्जी सुनवाई में देरी होती है। कोर्ट ने कहा जमानत अर्जी समय से सुनी जाय, यह अभियुक्त का अधिकार है। अनुच्छेद 21के तहत जीवन स्वतंत्रता का मूल अधिकार है। किसी को भी अनावश्यक रूप से जेल में बंद नहीं रखा जा सकता।
कोर्ट ने मांगी थी आपराधिक इतिहास मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने शुरू में ही याची से आपराधिक इतिहास की जानकारी मांगी थी और पुलिस से भी जानकारी लेने का समय दिया था। इसके बावजूद भी समय से जानकारी नहीं दी गई। मामले में अपर महाधिवक्ता ने कहा सरकार कानून के शासन के लिए प्रतिबद्ध है। वह कोर्ट के आदेश का अक्षरश पालन करेगी।