यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने उमेश चन्द्र जैन व बसीर अहमद की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता नितिन जैन व विपक्षी अधिवक्ता सन्त राम शर्मा ने बहस की।
मालूम हो कि मंदिर प्रबंधन ने मंदिर की जर्जर व खतरनाक स्थिति को देखते हुए ध्वस्त करने की अनुमति मांगी। सिटी मजिस्ट्रेट ने कार्यवाही शुरू की।मंदिर में रह रहे किरायेदारों ने तकनीकी रिपोर्ट पर आपत्ति की किन्तु आपत्ति निस्तारित किये बगैर ध्वस्तीकरण कार्यवाई का आदेश पारित किया गया।याची का कहना था कि उन्हें सुनवाई का अधिकार है।मंदिर को खाली कराने के लिए ध्वस्तीकरण किया जा रहा है।कोर्ट ने कहा कि यदि भवन ध्वस्त किया जाना है तो किरायेदारों को सुनना जरूरी है।उन्हें सुनकर ही अंतिम आदेश पारित किया जाय।