अमित सिंह चौहान सहित सैकड़ों अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर जस्टिस आर एस आर मौर्या ने अधिवक्ता विजय गौतम और अन्य अधिवक्ताओं को सुनने के बाद यह फैसला सुनाया। अर्द्धसैनिक बलों में 49080 पदों पर भर्ती के लिए 5 फरवरी 2011 को विज्ञापन जारी हुआ, इसे बाद में संशोधित विज्ञापन के जरिए 72309 कर दिया गया। लिखित, शारीरिक परीक्षा और मेडिकल परीक्षा के बाद 44152 पदों पर चयन परिणाम घोषित किया गया। 28 हजार के लगभग पद रिक्त रह गए। इसमें यह कहा गया कि योग्य अभ्यर्थी नहीं मिलने के कारण पदों को रिक्त रखा गया।
बाद में यह कहा गया कि योग्य अभ्यर्थी नहीं मिलने के कारण पदों को रिक्त रखा गया। बाद में इन पदों पर भर्ती के लिए 2011 से 2017 से लगातार कई संशोधित परिणाम जारी किया गया। याची के अधिवक्ता की दलील थी कि बार बार संशोधित चयन सूची जारी करने का कोई नियम नहीं है। विज्ञापन के शर्तों में भी ऐसा कुछ नहीं कहा गया। बाद में चयनित किए गए अभ्यर्थियों को पिक एण्ड चूज पाॅलिसी अपनायी गयी। अभ्यर्थियों का चयन करने में उनके राज्य के कोड बदल दिए गए। याचिका में कई ऐसे उदाहरण दिए गए। चयन प्रक्रिया कर्मचारी चयन आयोग इलाहाबाद द्वारा आयोजित की गयी। कोर्ट ने कहा कि अगले आदेश तक कोई चयन न किया जाये।
अर्धसैनिक बलों की भर्ती में अनियमितता की शिकायत मिली थी और हाईकोर्ट में 70 से ज्यादा ऐसे अभ्यर्थियों की सूची लाई गई थी, जिनकी नियुक्ति में संदेह था। देश भर में इस संबंध में याचिका दी गई थी।