ऐसा माना जा रहा था कि इस बार इलाहाबाद मेयर पद की सीट पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हो सकती है। इसी उम्मीद में पिछड़ा वर्ग के कुछ लोगों ने मैदान में उतरने के लिए कमर भी कस ली थी। अपने अंदर मेयर बनने का सपना भी पालना शुरू कर दिया था। लेकिन जैसे ही गुरूवार को इलाहाबाद सीट सामान्य होने की घोषणा हुई। उनका सपना पल भर में धरासायी हो गया। वहीं जिन सामान्य लोगों को आरक्षित सीट होने का डर सता रहा था। सामान्य सीट होते ही उनके सपनों में जान आ गई। मेयर की सीट सामान्य होते ही विभिन्न सियासी दलों के सामने एक साथ कई चेहरों पर दांव खेलने का विकल्प खुल गया। इसके साथ ही विभिन्न पार्टी के कार्यकर्ता से लेकर पदाधिकारी तक सियासी आकाओं के सामने माथा टेकना शुरू कर दिये हैं। वहीं इस बार महापौर के सियासी मैदान में निर्दलीय प्रत्याशियों की भी कमी नहीं होगी। ये निर्दलीय प्रत्याशी कई सियासी गणितज्ञों का समीकरण बिगाड़ भी सकते हैं। हालांकि सियासत के इस खेल में किसका पलड़ा कितना भारी होगा और कौन दांव मारता है। यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
बीजेपी में ज्यादा घमासान
बीजेपी में एक बार फिर विधानसभा चुनाव की तरह ही मेयर पद के लिए भी सर्वाधिक दावेदार मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं। ऐसे में बीजेपी के अंदर एक बार फिर सीट पाने को लेकर घमासान मचना तय है। बीजेपी नेता नंद गोपाल नंदी की पत्नी निवर्तमान मेयर अभिलाषा गुप्ता के अलावा करीब डेढ़ दर्जन से ज्यादा लोग खुद को मेयर पद के लिए मजबूत प्रत्याशी मान रहे हैं। इनमें से कुछ पीएम तो कुछ सीएम का करीबी बता खुद की मजबूत दावेदारी पेश करने का दंभ भर रहे हैं तो कुछ डिप्टी सीएम और मंत्री का करीबी बता टिकट पाने का रास्ता तलाश रहे हैं। हालांकि पार्टी किस प्रत्याशी पर दांव खेलेगी अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। अभी जो मेयर पद के लिए खुद को मजबूत उम्मीदवार मान रहे हैं, उनमें मुख्य रूप से निवर्तमान महापौर अभिलाषा गुप्ता नंदी के अलावा भाजपा के महानगर अध्यक्ष अवधेश गुप्ता का नाम भी सामने आ रहा है। इसके अलावा खुद का कायस्थ का वोट बैंक बताने वाले केपी ट्रस्ट के अध्यक्ष चौधरी राघवेंद्र नाथ सिंह, पूर्व उप महापौर मुरारी लाल अग्रवाल, डाॅ. एलएस ओझा, डाॅ. सुशील सिन्हा, शशि वाष्र्णेय, आरके ओझा, विजय मिश्रा, कीर्तिका अग्रवाल सहित कई अन्य खुद को मजबूत दावेदार मान रहे हैं।
बीजेपी में एक बार फिर विधानसभा चुनाव की तरह ही मेयर पद के लिए भी सर्वाधिक दावेदार मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं। ऐसे में बीजेपी के अंदर एक बार फिर सीट पाने को लेकर घमासान मचना तय है। बीजेपी नेता नंद गोपाल नंदी की पत्नी निवर्तमान मेयर अभिलाषा गुप्ता के अलावा करीब डेढ़ दर्जन से ज्यादा लोग खुद को मेयर पद के लिए मजबूत प्रत्याशी मान रहे हैं। इनमें से कुछ पीएम तो कुछ सीएम का करीबी बता खुद की मजबूत दावेदारी पेश करने का दंभ भर रहे हैं तो कुछ डिप्टी सीएम और मंत्री का करीबी बता टिकट पाने का रास्ता तलाश रहे हैं। हालांकि पार्टी किस प्रत्याशी पर दांव खेलेगी अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। अभी जो मेयर पद के लिए खुद को मजबूत उम्मीदवार मान रहे हैं, उनमें मुख्य रूप से निवर्तमान महापौर अभिलाषा गुप्ता नंदी के अलावा भाजपा के महानगर अध्यक्ष अवधेश गुप्ता का नाम भी सामने आ रहा है। इसके अलावा खुद का कायस्थ का वोट बैंक बताने वाले केपी ट्रस्ट के अध्यक्ष चौधरी राघवेंद्र नाथ सिंह, पूर्व उप महापौर मुरारी लाल अग्रवाल, डाॅ. एलएस ओझा, डाॅ. सुशील सिन्हा, शशि वाष्र्णेय, आरके ओझा, विजय मिश्रा, कीर्तिका अग्रवाल सहित कई अन्य खुद को मजबूत दावेदार मान रहे हैं।
सपा, बसपा और कांग्रेस में भी खींचतान
आने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जड़ से उखाड़ने के लिए भले ही अलग-अलग मंचों से विभिन्न पार्टियां एक साथ मिलने का दंभ भर रही हों। लेकिन महापौर के इस चुनाव में सपा, बसपा और कांग्रेस के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के बीच टिकट के लिए खींचतान मची हुई है। तीनों दल के पदाधिकारी से लेकर कार्यकर्ता तक खुद को मजबूत दावेदार मान रहे हैं। कांग्रेस में जहां दबी आवाज में अनुग्रह नारायण का नाम आ रहा है। वहीं बसपा में शहर अध्यक्ष चौधरी सईद अहमद तो सपा में कुमार नारायण, दुर्गा प्रसाद, टीपी सिंह सहित अन्य का नाम शामिल है। इनके अलावा भी तीनों दल से करीब दर्जनभर लोग खुद को मजबूत दावेदार मान रहे हैं।