इलाहाबाद संग्रहालय में सैंकड़ो साल पुरानी दुर्लभ मूर्तियां और कलाकृतियां मौजूद हैं। उनकी सुरक्षा को लेकर लगातार खतरा बना रहता है। वर्तमान में कोई भी संग्रालय में मूर्तियों को छू लेता है। जिससे लाखों, करोड़ों की मूर्तियों को नुकसान होने का खतरा बना रहता है। इलाहाबाद संग्रहालय निदेशक राजेश पुरोहित इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार की ओर से डिजिटल इंडिया की परिकल्पना के अनुरूप संग्रहालय और मूर्तियों की सुरक्षा के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटीफेकेशन यानि आरएफआईडी तकनीकी का उपयोग होने जा रहा है। जिस व्यवस्था के बाद अगर कोई गैलरी में रखी मूर्तियों को छूता है या गायब करने का प्रयास करेगा तो अलार्म बज उठेगा। इससे अधिकारी को इसकी सूचना मिल जाएगी।
पहले चरण में 10 हजार मूर्तियों में मैग्नेटिक चीप
संग्रहालय में करीब 72 हजार मूर्तियां और कलाकृतियां हैं। इनकी सुरक्षा के लिए आरएफआईडी तकनीकी के जरिए पहले चरण में 10 हजार कलाकृत्रियों में मैग्नेटिक चीप लगाई जाएगी। इसमें लग मैग्नेटिक चीप का नियंत्रण रिमोट से किया जाएगा। मूर्तियोॆ में लगी चीप संग्रहालय में आए लोगों को नजर नहीं आएगी। यह एक निश्चित फ्रीक्वेंसी में होगी। कोई उसे छूने या नष्ट करने का प्रयास भी करेगा तो सेंसर से तत्काल अलार्म बजने लगेगा। इसके अलावा अगर कोई इसे चोरी करने या हटाने का प्रयास भी किया तो भी उसकी सूचना तत्काल अधिकारियों को मिल जाएगी।
संग्रहालय में करीब 72 हजार मूर्तियां और कलाकृतियां हैं। इनकी सुरक्षा के लिए आरएफआईडी तकनीकी के जरिए पहले चरण में 10 हजार कलाकृत्रियों में मैग्नेटिक चीप लगाई जाएगी। इसमें लग मैग्नेटिक चीप का नियंत्रण रिमोट से किया जाएगा। मूर्तियोॆ में लगी चीप संग्रहालय में आए लोगों को नजर नहीं आएगी। यह एक निश्चित फ्रीक्वेंसी में होगी। कोई उसे छूने या नष्ट करने का प्रयास भी करेगा तो सेंसर से तत्काल अलार्म बजने लगेगा। इसके अलावा अगर कोई इसे चोरी करने या हटाने का प्रयास भी किया तो भी उसकी सूचना तत्काल अधिकारियों को मिल जाएगी।
सभी संग्रहालयों में होगी सुरक्षा
यह व्यवस्था केवल इलाहाबाद संग्रहालय में ही नहीं बल्कि भारत सरकार के हैदाराबाद संग्रहालय, कोलकाता व दिल्ली संग्रहालय में भी यह व्यवस्था लागू की जा रही है। वहीं इलाहाबाद संग्रहालय में इस व्यवस्था के लिए १५ लाख रूपये का बजट भेजा जा चुका है। कार्य शुरू हो चुका है। निदेशब इलाहाबाद संग्रहालय राजेश पुरोहित ने बताया कि जो मेटल लगाए जाएंगे। उसकी फ्रीक्वेंसी पूरे संग्रहालय के दायरे में होगी। पहली बार १७ लाख का खर्च आएगा। हालंाकि बाद में इसका खर्च कम हो जाएगा।
इनपुट- इलाहाबाद संवाददाता