यह पहली बार नहीं है जब संगम नगरी का नाम बदला है। इलाहाबाद का नाम समय के साथ बदलता रहा है। कभी मुगलों ने तो ब्रिटिश हुकूमत ने लेकिन प्रयाग से इलाहाबाद और प्रयागराज होने का सफर बेहद सियासी होता दिख रहा है। इलाहाबाद का नाम बदलने के बाद एक बड़ा बदलाव भी होने जा रहा है। प्रयागराज के नाम की अधिसूचना जैसे ही जारी होगी। जिले के हर सरकारी कार्यालय, सरकारी कागजात और व्यक्तिगत इलाहाबाद की जगह प्रयागराज दर्ज हो जाएगा। गंगा यमुना सरस्वती त्रिवेणी की धरती पर सैकड़ों बरस बाद एक बार फिर सरकारी दस्तावेजों में इलाहाबाद की जगह प्रयागराज का नाम लिखा जाएगा।
अकबर ने दिया इलाहाबाद नाम
गौरतलब है कि इलाहाबाद का नाम पहले प्रयागराज ही था। प्रयागराज को इलाहाबाद नाम मुगल शासक अकबर ने दिया। 1574 में अकबर ने इस शहर का नाम इलाहाबास कर दिया, जिसका अर्थ है जहां अल्लाह का वास हो। कालांतर में इलाहाबास का इलाहाबाद बन गया। इसका नाम बदलने की मांग लंबे समय से उठती रही थी। महामना मदनमोहन मालवीय ने भी ब्रिटिश हुकूमत में यह आवाज उठाई थी। उसके बाद ससे लगातार यह मांग उठती रही थी।
गौरतलब हो कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दो दिन पूर्व अपने दो दिवसीय दौरे पर संगम नगरी में थे। इस दौरान कुंभ के मद्देनजर गठित किए गए मार्गदर्शक मंडल की बैठक हुई इसमें राज्यपाल राम नाईक में योगी सरकार को जनमानस की मांग को देखते हुए इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने का प्रस्ताव दिया था। जिसे आज यूपी कैबिनेट में मंजूर कर लिया और इलाहाबाद को सैकड़ों बरस बाद फिर उसका नाम प्रयागराज दिया गया ।