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इलाहाबाद विश्वविद्यालय का पत्राचार संस्थान बंद ,एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने लिया बड़ा निर्णय

locationप्रयागराजPublished: Aug 10, 2019 01:54:25 am

-43 साल पुराना संस्थान हो जायेगा बंद
-राष्ट्रपति ने 6 अप्रैल 2016 में प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया
 

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प्रयागराज।इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव का स्वरूप बदलने के बाद विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने बड़ा निर्णय लिया है। एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पत्राचार संस्थान को बंद करने का निर्णय लिया गया है।एकेडमिक काउंसिल में इसको बंद करने पर पहले ही निर्णय ले चुकी थी ।अब रजिस्ट्रार की ओर से नोटिफिकेशन जारी होने की औपचारिकता बाकी रह गई है। इस निर्णय के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय का ये संस्थान इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा। लेकिन उम्मीद है कि पत्राचार संस्थान के कर्मचारी एक बार फिर विरोध का रास्ता अख्तियार कर सकते है।

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पत्राचार संस्थान इलाहाबाद विश्वविद्यालय का हिस्सा हुआ करता था लेकिन जब विश्वविद्यालय को केंद्रीय दर्जा मिला तो उसमें संस्थान की स्थिति सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूट के तौर पर दर्शा दिया। यही वजह है कि पत्राचार संस्थान विश्वविद्यालय का अंग नहीं रहा संस्थान के कर्मचारियों के आंदोलन के बाद 25 जनवरी 2012 को कार्यपरिषद की बैठक में लिए गए निर्णय के आधार पर इसे यूनिवर्सिटी का अंग बनाने का प्रस्ताव मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजा गया।मंत्रालय ने इसे राष्ट्रपति को भेजा और राष्ट्रपति ने 6 अप्रैल 2016 में प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। जिससे शैक्षिक सत्र 2016 -17 में संस्थान में प्रवेश बंद कर दिए गए इसके बाद से ही संस्थान की गतिविधियां ठप पड़ी है हालांकि संस्थान को बंद करने का आदेश अधिकृत तौर पर अभी तक जारी नहीं किया गया है।

पत्राचार संस्थान से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद विश्वविद्यालय की एसएलपी को खारिज करते हुए संस्थान की सहायक निदेशक रेखा सिंह को वेतन भत्ते का भुगतान करने का आदेश दिया था इस मामले के बाद एमएचआरडी मंत्रालय ने 16 जुलाई को यूसी संस्थान के अद्यतन स्थिति में जानकारी मांगी थी इसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने अधिकृत तौर पर संस्थान को बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी

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