इलाहाबाद विश्वविद्यालय सहित उसके चार प्रमुख संगठन कॉलेजों में भी मतदान हो रहा है। जिसमें इविंग क्रिश्चियन कॉलेज ईश्वरशरण डिग्री कॉलेज सीएमपी डिग्री कॉलेज और एडीसी डिग्री कॉलेज में आज वोटिंग हो रही है। छात्र संगठनों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद समाजवादी छात्र सभा भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन एनएसयूआई ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन आइसा स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया एसएफआई ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन सहित कई अन्य निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में है।
ये हैं मुद्दे
बीते दिनों नामांकन और दक्षता भाषण में छात्र नेता और उनके संगठनों ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र हित महिला सुरक्षा पेयजल शौचालय की व्यवस्था शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति डेलीगेसी रहने वाले छात्रों के लिए भत्ता अस्पताल की सुविधाएं मुहैया कराने जैसे तमाम वादे किये। विश्वविद्यालय में बीते दिनों आंदोलन का सबसे बड़ा कारण रहा हॉस्टल वॉस आउट का मामला जिसके लिए कुलपति बनाम छात्रसंघ की लड़ाई चुनाव के कुछ दिन पहले तक जारी रही है। विश्वविद्यालय में छात्रसंघ की जीत ना सिर्फ छात्र संगठनों की जीत हार होगी बल्कि इलाहाबाद में राजनीतिक दलों की साख का भी फैसला होगा।
बीते दिनों नामांकन और दक्षता भाषण में छात्र नेता और उनके संगठनों ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र हित महिला सुरक्षा पेयजल शौचालय की व्यवस्था शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति डेलीगेसी रहने वाले छात्रों के लिए भत्ता अस्पताल की सुविधाएं मुहैया कराने जैसे तमाम वादे किये। विश्वविद्यालय में बीते दिनों आंदोलन का सबसे बड़ा कारण रहा हॉस्टल वॉस आउट का मामला जिसके लिए कुलपति बनाम छात्रसंघ की लड़ाई चुनाव के कुछ दिन पहले तक जारी रही है। विश्वविद्यालय में छात्रसंघ की जीत ना सिर्फ छात्र संगठनों की जीत हार होगी बल्कि इलाहाबाद में राजनीतिक दलों की साख का भी फैसला होगा।
जेएनयू डीयू के बाद एयू में एबीवीपी की साख दांव पर
जेएनयू डीयू राजस्थान हैदराबाद पंजाब विश्वविद्यालयों में जिस तरह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को असफलता मिली है। उससे एक बार उबरने के लिए विद्यार्थी परिषद ने पूरी जोर आजमाइश की है। छात्रसंघ के लोकतंत्र में इस बात का भी सवाल है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता वाली पार्टी भाजपा का वैचारिक संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद किस हद तक छात्रों युवाओं के बीच अपनी जगह बना पाया है। छात्र संघ का चुनाव मात्र विश्वविद्यालय के मुद्दे पर नही होगा और ना ही इस स्थानीय मुद्दों पर। कैम्पस में वह भी मुद्दे हैं। जो देश की और प्रदेश की सरकारों ने अपने वादों में किए थे।इस का जीता जागता उदाहरण बीते दिनों दक्षता भाषण के दौरान दिखा।जब छात्र संघ की प्राचीर से लाल किले की प्राचीर से किये गये वादों को भी छात्र नेताओं ने तलब किया। सबसे बड़ा सवाल यह है देश भर में भाजपा के वैचारिक संगठन को जिस तरीके से मात मिल रही है, क्या इलाहाबाद विश्वविद्यालय में उससे उबर पाएगी इसके लिए हमें कुछ घंटों का इंतजार करना होगा।
जेएनयू डीयू राजस्थान हैदराबाद पंजाब विश्वविद्यालयों में जिस तरह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को असफलता मिली है। उससे एक बार उबरने के लिए विद्यार्थी परिषद ने पूरी जोर आजमाइश की है। छात्रसंघ के लोकतंत्र में इस बात का भी सवाल है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता वाली पार्टी भाजपा का वैचारिक संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद किस हद तक छात्रों युवाओं के बीच अपनी जगह बना पाया है। छात्र संघ का चुनाव मात्र विश्वविद्यालय के मुद्दे पर नही होगा और ना ही इस स्थानीय मुद्दों पर। कैम्पस में वह भी मुद्दे हैं। जो देश की और प्रदेश की सरकारों ने अपने वादों में किए थे।इस का जीता जागता उदाहरण बीते दिनों दक्षता भाषण के दौरान दिखा।जब छात्र संघ की प्राचीर से लाल किले की प्राचीर से किये गये वादों को भी छात्र नेताओं ने तलब किया। सबसे बड़ा सवाल यह है देश भर में भाजपा के वैचारिक संगठन को जिस तरीके से मात मिल रही है, क्या इलाहाबाद विश्वविद्यालय में उससे उबर पाएगी इसके लिए हमें कुछ घंटों का इंतजार करना होगा।
विद्यार्थी परिषद की जीत बताएगी योगी सरकार की युवाओं में पैठ
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद बागी हुए नेताओं ने परिषद को बड़ी चुनौती दी है।यही नहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की जीत हार प्रदेश की योगी सरकार की युवाओं में पैठ का भी मूल्यांकन करेगी। विश्वविद्यालय में देश और दुनिया के कोने कोने के छात्र पढ़ने आते हैं। अगर हम हिंदुस्तान भर की बात करें तो सबसे ज्यादा छात्र ग्रामीण इलाकों से आते हैं और इसमें बड़ी संख्या पूर्वांचल के छात्रों की होती है। जहां से सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ भी है। तीन साल पहले संगम नगरी से लोकसभा का शंखनाद करने वाले नरेंद्र मोदी और फिर लाल किले की प्राचीर से युवा भारत नया भारत का उद्घोष करने वाले मोदी युवाओं को भी प्रभावित करने में जुटे रहे वह अब तक कायम हैं की नहीं । कभी देश की राजनीति को दिशा और दशा देने का काम करने वाला या छात्रसंघ आज एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री और सूबे के मुख्यमंत्री के वादों को भी जवाब देगा।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद बागी हुए नेताओं ने परिषद को बड़ी चुनौती दी है।यही नहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की जीत हार प्रदेश की योगी सरकार की युवाओं में पैठ का भी मूल्यांकन करेगी। विश्वविद्यालय में देश और दुनिया के कोने कोने के छात्र पढ़ने आते हैं। अगर हम हिंदुस्तान भर की बात करें तो सबसे ज्यादा छात्र ग्रामीण इलाकों से आते हैं और इसमें बड़ी संख्या पूर्वांचल के छात्रों की होती है। जहां से सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ भी है। तीन साल पहले संगम नगरी से लोकसभा का शंखनाद करने वाले नरेंद्र मोदी और फिर लाल किले की प्राचीर से युवा भारत नया भारत का उद्घोष करने वाले मोदी युवाओं को भी प्रभावित करने में जुटे रहे वह अब तक कायम हैं की नहीं । कभी देश की राजनीति को दिशा और दशा देने का काम करने वाला या छात्रसंघ आज एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री और सूबे के मुख्यमंत्री के वादों को भी जवाब देगा।
मोदी लहर की भी परीक्षा
धार्मिक संगम नगरी बौद्धिकता के गढ़ यह कैम्पस और यहां के छात्र जिस प्रत्याशी को चुनेगा। वह देश और प्रदेश का भले ही नहीं लेकिन बीस हजार युवाओं के दिलों की धड़कन बनेगा।जो आगे चलकर देश की प्राचीर पर भी खड़े होने के सपने संजोए होगा। आज छात्रसंघ के परिणाम के बाद सवाल उठेंगे और कई चुनौतियां की तरह सामने आएंगे। अगर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जो कि भारतीय जनता पार्टी का वैचारिक संगठन है। यह अपनी हार की परंपरा को कायम रखता है। तो एक बार यह सवाल फिर उठेगा क्या मोदी लहर खत्म हो गई है। बता दें कि बीते चुनाव में 40 साल बाद रोहित मिश्रा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष चुने गए थे। तब भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित भाई शाह ने छात्र संघ अध्यक्ष को बधाई दी थी और कहा था यह भगवा लहर है।
धार्मिक संगम नगरी बौद्धिकता के गढ़ यह कैम्पस और यहां के छात्र जिस प्रत्याशी को चुनेगा। वह देश और प्रदेश का भले ही नहीं लेकिन बीस हजार युवाओं के दिलों की धड़कन बनेगा।जो आगे चलकर देश की प्राचीर पर भी खड़े होने के सपने संजोए होगा। आज छात्रसंघ के परिणाम के बाद सवाल उठेंगे और कई चुनौतियां की तरह सामने आएंगे। अगर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जो कि भारतीय जनता पार्टी का वैचारिक संगठन है। यह अपनी हार की परंपरा को कायम रखता है। तो एक बार यह सवाल फिर उठेगा क्या मोदी लहर खत्म हो गई है। बता दें कि बीते चुनाव में 40 साल बाद रोहित मिश्रा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष चुने गए थे। तब भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित भाई शाह ने छात्र संघ अध्यक्ष को बधाई दी थी और कहा था यह भगवा लहर है।