कैंट थाने की पुलिस के अनुसार बीती रात उपेंद्र खाना खाकर लौट रहे थे।और वह अपने लॉज के बाहर अपनी बाइक रोक कर खड़े थे। जैसे ही उपेंद्र रुके अज्ञात बदमाशों ने उन्हें गोली मार दी। गोली उनके सिर के पिछले हिस्से में लगी।जिसके बाद उपेंद्र जमीन पर गिर पड़े। आसपास के लोग आए तो उन्हें लगा। कि रोड एक्सीडेंट हुआ है।उन्हें आनन फानन में स्थानीय लोगों ने अस्पताल पहुंचाया। तो मेडिकल जांच से पता चला कि उनके सर में गोली लगी है।हालत नाजुक देखते हुए देर रात मेडिकल कॉलेज से रेफर कर के लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट कराया गया।जहां पर उनकी हालत अभी भी बेहद गम्भीर बनी हुई है।और वह कोमा में है।
बता दें कि उपेंद्र यादव को गोली लगने के बाद एक बार फिर कैंपस का माहौल गर्म है अजय चुनावी मुद्दा भी बन सकता है।जिसको लेकर प्रशासन भी बहुत सतर्क है। ग्रेजुएशनऔर पीजी के के बाद पीएचडी विश्वविद्यालय के ताराचंद छात्रावास में रहकर ही कर रहे थे। बीते समय हाईकोर्ट के आदेश पर जो छात्रावास आवास आउट कराया गया।उस दरमियान उपेंद्र हॉस्टल छोड़कर लॉज में शिफ्ट हो गए थे। लेकिन छात्रावास और वहां के जूनियर और सीनियर लोगों से उनके ताल्लुकात बने रहे।उनका आना-जाना छात्रावास में लगा था छात्र संघ चुनाव के दरमियान जानलेवा हमले से लोग हैरान है हालांकि पुलिस का कहना है कि अज्ञात लोगों ने मारा है इस को किस तरीके से छात्र संघ चुनाव से नहीं जोड़ना चाहिए पुलिस हर पहलू पर जांच कर रही है जल्द ही मामले का खुलासा करेगी।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ पूर्व अध्यक्ष ऋचा सिंह ने इस मामले की जांच की मांग की है।उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय की अस्मिता पर खतरा है।यहां देशभर से लोग पढ़ने आते हैं। ऐसे कोई किसी को क्यों मार देगा सबसे बड़ी बात यह है।कि जब किसी राजनीति या किसी अन्य मामलों में हस्तक्षेप नहीं है।जो सिर्फ पढ़ने आया है।उसको क्यों निशाना बनाया गया।इन सारे मामले की जांच की मांग की। और उन्होंने कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए। विश्वविद्यालय के शोध छात्र ज्ञान प्रकाश ने कहा कि इस मामले की जांच जल्द हो और इसका खुलासा किया जाए।ज्ञान के अनुसार वह पिछले 4 सालों से उपेंद्र यादव को जानता हूँ।ज्ञान के अनुसार बहुत ही सरल साधारण स्वभाव के उपेंद्र यादव के साथ ऐसा होना एक आश्चर्यजनक बात है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के ताराचंद छात्रावास में दबंगों का कब्जा शुरू से ही रहा है। कई बार छात्रों की मारपीट और हत्या जैसी सनसनीखेज वारदात छात्रावास में हो चुकी है। 1998 पुष्पेंद्र सिंह की हत्या हुई थी।उसके बाद 2009 में छात्र नेता आनंद सिंह को दिनदहाड़े के हॉस्टल में घुसकर गोली मार दी गई थी।आनंद सिंह कई महीनों तक कोमा में थे। छात्र संघ चुनाव के दौरान 2014 में पप्पू पटेल नामक छात्र की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। ऐसा नहीं छात्र नेता के चुनाव में एक खूनी धब्बे पहली बार लगे हैं ।