उपाध्यक्ष – चंदशेखर चौधरी (समाजवादी छात्र सभा)
महामंत्री – निर्भय कुमार द्विवेदी (ABVP)
संयुक्त सचिव – भरत सिंह (समाजवादी छात्र सभा)
कला संकाय प्रतिनिधि – दिग्विजय सिंह दिग्गी ( समाजवादी छात्र सभा)
सांस्कृतिक सचिव – अवधेश कुमार पटेल (समाजवादी छात्र सभा)
छात्र संघ चुनाव में कुल 7 पदों के लिए 64 प्रत्याशी मैदान में थे।जिनमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद समाजवादी छात्र सभा एनएसयूआई आइशा सहित निर्दलीय प्रत्याशी शामिल थे। जिनमें अध्यक्ष पद पर अवनीश कुमार यादव को 3226 वोट मिले अवनीश ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बागी मृत्युंजय राव परमार को मात दी।मृत्युंजय राव परमार को 2674 मत प्राप्त हुए। जबकि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के उम्मीदवार प्रियंका सिंह तीसरे स्थान पर रही।और उन्हें 1588 मत ही मिले। एनएसयूआई के उम्मीदवार के तौर पर सूरज कुमार दुबे चौथे स्थान पर रहे इनको 466 मत प्राप्त हुए ।
छात्र हित के मुद्दे पर फेल हुई एबीवीपी
एबीवीपी के हार के प्रमुख कारणों में से यूनिवर्सिटी से जुड़े मुद्दे हैं। इसी साल हॉस्टल खाली कराने के मुद्दे को लेकर विश्वविद्यालय में भारी बवाल हुआ था। कोर्ट के आदेश के बाद भी छात्र हॉस्टल खाली कराए जाने का विरोध कर रहे थे। छात्रों का तर्क था कि अवैध छात्रों को हटाया जाए, लेकिन जो छात्र वैध हैं उन्हें डिस्टर्ब नहीं किया जाए। इस मुद्दे को लेकर छात्रों ने काफी दिनों तक आंदोलन भी किया। बाद में यह आंदोलन हिंसक हो गया, जिसमें कई छात्रों को चोटें आई। इस मुद्दे को लेकर एबीवीपी ने जोरदार तरीके से उठाया, मगर इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से गुहार भी लगाई थी, लेकिन मंत्रालय ने मामले में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया। विवि प्रशासन की तरफ से एबीवीपी को ही निशाना बनाया गया। इसके अलावा यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी को 24 घंटे खुलवाने और लाइब्रेरी से किताबों का इश्यू कराना जो पिछले कई चुनावों से मुद्दा रहा है, उस पर भी एबीवीपी छात्रसंघ अघ्यक्ष कुछ खास नहीं कर सके।
एबीवीपी की तरफ से इलाहाबाद यूनिवर्सिटी चुनाव में मृत्युंजय राव परमार का टिकट लगभग फाइनल माना जा रहा है, मगर चुनाव से ठीक पहले एबीवीपी ने प्रियंका सिंह को अपना प्रत्याशी बना दिया। इससे नाराज मृत्युंजय राव परमार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतर गये और एबीवीपी का बड़ा धड़ा मृत्युंजय राव परमार के साथ चला गया। परमार को भाजपा और संघ के नेताओं का साथ मिला। एबीवीपी के उम्मीदवार प्रियंका सिंह का प्रवेश अवैध बताते हुएबागी मृत्युंजय राव परमार हाईकोर्ट पहुंचकर याचिका भी दाखिल भी की, मगर उन्हें निराशा मिला। चुनाव परिणाम जब आया तो मृत्युंजय राव परमार दूसरे नंबर पर रहे, वहीं प्रियंका सिंह तीसरे स्थान पर चली गई।
युवाओं में नाराजगी
बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में हर साल दो करोड़ रोजगार उपलब्ध कराने का वादा किया था। रोजगार मिलना तो दूर आये दिन उपलब्ध रोजगार में भी कमी आ रही है। इस साल आईटी सेक्टर में 1.50 लाख छंटनी हो चुकी है। स्किल इंडिया के तहत रोजगार देने का वादा भी खोखला ही साबित हुआ है। बेरोजगारी निरंतर बढ़ती जा रही है। विश्वविद्यालयों में अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर भी युवा वर्ग में नाराजगी है।