गौरतलब हो कि प्रो. आरआर तिवारी (Pro R R Tiwari) ने जब कार्यावाहक कुलपति का कार्यभार संभाला था तभी उन्होंने छात्रसंघ बहाली के संकेत दे दिए थे। इतना ही नहीं फरवरी में ही उन्होंने एकेडमिक काउंसिल (Academic Council) की बैठक में डीएसडब्ल्यू प्रोफेसर केपी सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर दी थी। लगभग पांच महीने तक अध्ययन करने के बाद जाकर कमेटी द्वारा छात्रसंघ का नया प्रारूप तैयार किया गया है।
जो प्रस्ताव तैयार किया गया है उसमें लिंगदोह की सिफारिशों में कुछ मामूली बदलाव की भी संभावना है। प्रत्याशियों के लिये निर्धारित पांच हज़ार रुपए के खर्च को बढ़ाने पर भी विचार हो सकता है। हालांकि कार्यपारिषद में चर्चा के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा। कुल मिलाकर
याद रहे कि तत्कालीन कुलपति आरएल हांगलू ने 2019-20 के शैक्षिक सत्र में छात्रसंघ को ख़त्म कर उसकी जगह छात्रपरिषद का गठन किया था, जिसका छात्र संगठनों और छात्र नेताओं और छात्रों ने जमकर विरोध किया था। ज़िद पर अड़े कुलपति ने छात्र परिषद का चुनाव भी कराया था, लेकिन छात्रों ने उसमें भाग न लेकर साफ कर दिया कि उन्हें यह मंज़ूर नहीं।