इसमें गणित, इनफॉरमेटिक्स, बायोइनफारमेटिक्स, फिजिक्स, मेडिसिन, लाइफ साइंस, अर्थशास्त्र व संबंधित विभाग के विद्यार्थी आवेदन कर सकते हैं। चयनित विद्यार्थियों को आठ से 10 सप्ताह तक अपने कोर्स के अंतिम वर्ष में जर्मनी के हाइडेलबर्ग विश्वविद्यालय में समय बिताना होगा।
मिनिस्ट्री ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नॉलॉजी विभाग की पहल पर शोध के लिए देश में इलाहाबाद विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय व जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय को चुना गया है। इसके अलावा आइआइटी मद्रास, गोवाहाटी, व कानपुर के छात्रों को भी बिग डाटा में शोध का अवसर दिया गया है।
सभी छह संस्थानों से हाइडेलबर्ग विश्वविद्यालय से मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) पर करार हुआ था। इसके तहत प्रत्येक छह संस्थानों से कुल 15 विद्यार्थियों का चयन होगा। ये विद्यार्थी जर्मनी में जाकर बिग डाटा पर शोध करेंगे।
पहले होगा छह माह का ओरिएंटेशन प्रोग्राम इलाहाबाद विश्वविद्यालय के डॉ. सुनीत द्विवेदी ने बताया कि हाइडेलबर्ग विश्वविद्यालय में पहले छह महीने का ओरिएंटेशन प्रोग्राम होगा। इसके बाद पीजी पूरा करने वाले विद्यार्थी पीएचडी में प्रवेश लेंगे। अपने संस्थान में पीएचडी में प्रवेश के बाद एक साल तक अपने संस्थान में शोध करेंगे। एक साल शोध के बाद दो सालों तक जर्मनी में बिग डाटा पर शोध करेंगे। इस दौरान छात्र के ऊपर होने वाले खर्च को जर्मनी वहन करेगा।
ऐसे होगी छात्रों की चयन प्रक्रिया इंटरव्यू बोर्ड में डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, हाईडेलबर्ग यूनिवर्सिटी और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट्स शामिल होंगे। यह एक ज्वाइंट पीएचडी प्रोग्राम है। इससे पहले उन्हें अपनी योग्यता और क्षमता को साबित करना होगा। संबंधित छात्र को इविवि और हाईडेलबर्ग दोनों ही जगह की डिग्री प्राप्त होगी।