पत्नी के जहर खाकर खुदकुशी करने के मामले में आरोपी को करीब 34 साल बाद न्याय मिला है। 1986 से अब तक चले आ रहे मुकदमे में चार आरोपियों में से चार की मौत हो गई है
34 साल चला मुक़दमा, सजा भी हो गयी, हाईकोर्ट ने कहा निर्दोष है याची
प्रयागराज. पत्नी के जहर खाकर खुदकुशी करने के मामले में आरोपी को करीब 34 साल बाद न्याय मिला है। 1986 से अब तक चले आ रहे मुकदमे में चार आरोपियों में से चार की मौत हो गई है। बचे एक आरोपी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्दोष बताते हुए उनकी सजा रद्द कर दी है। दरअसल, सर्वेश कुमारी नामक महिला का विवाह मैनपुरी के मातादीन से हुआ था। विवाह के दो वर्ष बाद ही पति ने उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था। 17 सितंबर 1986 को सर्वेश ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी। ससुराल वालों ने इसकी सूचना पुलिस को दिए बिना ही शव को जला दिया। पीड़िता के परिवार वालों को जब इसकी जानकारी हुई तो मृतका के पिता राम सिंह मैनपुरी के दन्नाहर पहुंचे। ससुराल में पुत्री का शव न मिलने पर उन्होंने थाने में नामजद मुकदमा दर्ज कराया।
चार आरोपियों की मौत 8 जनवरी, 1988 को सेशन कोर्ट ने पति मातादीन को पत्नी की हत्या, शव जलाने और साक्ष्य मिटाने के आरोप में 10 साल की सजा सुनाई। मातादीन के साथ ही अन्य परिजन हरीदास, छेदालाल, सोबरन व पड़ोसी विजय कुमार को एक-एक साल की सजा सुनाई गई। आरोपियों ने सेशन कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। मुकदमा लंबा चला और इस दौरान पति मातादीन सहित अन्य चार आरोपियों की मौत हो गई। केवल पड़ोसी विजय कुमार जीवित थे, जो जमानत पर थे।
आरोपी विजय कुमार को माना निर्दोष हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह साक्ष्य नहीं है कि मृतका को जलाते समय आरोपी को उसके जहर खाकर मरने की जानकारी थी। अभियोजन आरोपों को संदेह से परे साबित करने में नाकाम रहा है इसलिए आरोपी विजय कुमार को निर्दोष करार दिया जाता है।