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इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भारी हंगामा, बंद दरवाजे में हुआ राजस्थान के राज्यपाल का संबोधन हड़ताल पर गए चालकों और इमरजेन्सी मेडिकल टेक्नीशियन का आरोप है कि जहां एक ओर उन्हें समय से वेतन नहीं मिल रहा है। वहीं उन्हें कम वेतन भी दिया जा रहा है। जबिक कई सालों के कार्यरत कर्मचारियों के वेतन में भी कोई बढ़ोत्तरी नहीं की जा रही रही है। इसके साथ ही इमरजेंसी एम्बुलेंस सेवा संचालित करने वाली कंपनी जीवीके ईएमआरआइ की ओर से नए प्रोजेक्ट के तहत नई व्यवस्था की जा रही है। जिसके तहत 108 के वाहन कर्मियों को प्रति केस सौ रुपये और 102 को प्रति केस 60 रुपये दिए जाएंगे। हड़ताली कर्मचारियों का आरोप है कि अगर केस न मिला तो उस दिन उन्हें कुछ नहीं मिलेगा।
कंपनी की यह नीति पूरी तरह से गलत है और उनके शोषण को लेकर बनायी गयी है। वहीं एंबुलेंस कर्मियों की हड़ताल को लेकर प्रमुख सचिव स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के तहत कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। लेकिन इसके बावजूद हड़ताली कर्मचारी मांगे पूरी हुए बगैर काम पर लौटने को तैयार नहीं हैं।एंबुलेंस स्टाफ का कहना है कि कंपनी उनका शोषण करती है। इन लोगों को तीन महीने का बकाया वेतन भी नहीं मिला है। हड़ताल कर रहे कर्मचारियों का कहना है की उनकी मांगे जब तक पूरी नहीं हो जाती वह अनवरत हड़ताल पर रहेंगें। एम्बुलेंस कर्मियों की समस्याओं को सरकार ने नही समझा तो आने वाले दिनों में इनका विरोध और बढेगा ।