इंटरव्यूः जे.एम चावड़ा
पद: इनचार्ज जेल सुपरिटेंडेंट
जगह: साबरमती जेल
तारीख: 21 मार्च, 2023 एक जरूरी बातः साबरमती जेल के सुपरिटेंडेंट तेजस वी पटेल हैं। लेकिन करीब एक महीने पहले ट्रेनिंग के लिए वो पुलिस एकेडमी हैदराबाद गए। उनकी जगह पर चार्ज मिला है जे.एम चावड़ा को।
जे.एम चावड़ा पहले जामनगर और गुजरात पुलिस के SOG में रहे हैं। तेज-तर्रार अधिकारी की छवि है। उमेश पाल मर्डर में आरोपी अतीक के बारे में हमने उनसे कुल 10 सवाल पूछे हैं। आइए उनके जवाबों से गुजरते हैं…
रिपोर्टर: यूपी STF ने प्राइमरी इन्वेस्टिगेशन में पाया है कि अतीक इस जेल में फोन का इस्तेमाल करता था। आपका क्या कहना है?
जेल सुपरिटेंडेंट: अतीक अहमद हाई सिक्योरिटी बैरक में बंद है। वहां मोबाइल फोन का इस्तेमाल संभव ही नहीं है। सेल के बाहर कैमरा लगा हुआ है। मोबाइल नेटवर्क को ब्रेक करने के लिए जैमर भी लगाए गए हैं। राउंड द क्लॉक उसके निगरानी के लिए 2 टीमें लगी हुईं हैं। जो कभी भी किसी भी समय जाकर बैरक को चेक करते हैं। अतीक के बैरक की भी चेकिंग होती है।
जेल सुपरिटेंडेंट: यूपी STF या पुलिस की टीम अभी तक जेल में नहीं आई है। उन्होंने किसी भी तरह से हमसे यानी जेल प्रशासन से किसी भी तरह से संपर्क किया है। अहमदाबाद में उनके आने कि हमें कोई सूचना नहीं है।
जेल सुपरिटेंडेंट: अतीक से जेल में या कहीं और पूछताछ के लिए हमें न ही कोई चिट्ठी मिली है और ना ही कोई कोई मेल आया है। हमसे किसी भी तरह अब तक संपर्क नहीं साधा गया है।
रिपोर्टर: अतीक को यूपी ले जाने यानी उसके प्रत्यर्पण के लिए कोई एप्लीकेशन आई है? क्या स्टेटस है?
जेल सुपरिटेंडेंट: शायद मामला सुप्रीम कोर्ट में होने की वजह से इसमें देर हो रहा है। लेकिन, यूपी पुलिस की तरकाफ से मुझे कोई एप्लीकेशन नहीं मिली है।
रिपोर्टर: प्रत्यर्पण के लिए कोई आवेदन आता है तो कितना समय लगेगा? अगर वह यूपी जाता है किसकी कस्टडी में जाएगा, गुजरात पुलिस या यूपी पुलिस?
जेल सुपरिटेंडेंट: माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर वो यहां आया है। हमें कोर्ट से जैसा निर्देश मिलेगा हम उस हिसाब से काम करेंगे। अगर वह यूपी जाता है तो उसको यूपी पुलिस अपनी कस्टडी में लेकर जाएगी। कोर्ट से कोई अलग से निर्देश आ जाए तो बात अलग है।
रिपोर्टर: मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि उमेश पाल की हत्या में शामिल शूटर अतीक से मिलने के लिए साबरमती जेल में आए थे। आपने इसकी कोई जांच की? पिछले कुछ महीनों में जो लोग उससे मिलने आए, उनके नाम को रजिस्टर में क्रॉस चेक किया?
जेल सुपरिटेंडेंट: यूपी पुलिस के FIR में किन-किन लोगों के नाम हैं यह हमें नहीं पता। अगर वह FIR के कॉपी के साथ हमें नाम भेजते हैं और जांच की रिक्वेस्ट करते हैं तो हम सही तरीके से चेक कर पाएंगे और जांच में पूरी मदद करेंगे।
रिपोर्टर: आपके कहने के अनुसार जब अतीक के सेल में मोबाइल नहीं है फिर उसने आईफोन में Facetime App के माध्यम से बरेली जेल में बंद अपने भाई अशरफ और बाहर गुर्गों से कैसे बात करता रहा? उसी app से उमेश की हत्या कि साजिश रची गई।
जेल सुपरिटेंडेंट: किसी के पास कोई सबूत है तो लाकर दे, हम उसकी जांच करेंगे। लेकिन एक बार फिर से कह रहे हैं कि जेल में मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं हुआ।
रिपोर्टर: उसको किस तरह की सुविधाएं मिली हैं? किसी VVIP की तरह या आम कैदी की तरह?
जेल सुपरिटेंडेंट: हाई सिक्योरिटी बैरक में बंद कैदी को जिस तरह से व्यवस्था का प्रोटोकॉल है उसी हिसाब से उसको सुविधाएं दी जाती हैं। लेकिन, कुछ मामलों में उसको कोर्ट और डॉक्टर के निर्देश पर अलग से सुविधा है। जैसे- उसका खाना डॉक्टर के बताए गए डाइट के अनुसार आता है। उसको शुगर, ब्लड प्रेशर और कई बीमारियां हैं। खाने के मामले में सिर्फ उसको ही नहीं बल्कि जेल में बंद 25 से 30 कैदियों को डॉक्टर के सलाह पर डाइट वाला खाना दिया जाता है।
रिपोर्टर: उसके लिए क्या अलग से सेवादार लगे हैं? जेल सुपरिटेंडेंट: उसको वही सुविधाएं मिली हैं जो जेल मैन्युअल और हाई सिक्योरिटी सेल के हिसाब से सुझाई गयी हैं।
रिपोर्टर: क्या अतीक अहमद का जेल बदलने का कोई प्लान है?
रिपोर्टर: मीडिया रिपोर्ट्स में पिछले दिनों 2 खबर वायरल हुई। पहली: उससे मिलने वालों की अलग से मुलाकात कराई जाती है। दूसरा: जुम्मे के बाद बिरयानी पार्टी का आयोजन होता था। जिसमें जेल के अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल होते थे।
जेल सुपरिटेंडेंट: आपने जिस दो खबर का जिक्र किया है हमने भी उसे देखा है। वो पूरी तरह से झूठी खबर थी। हमने बाकायदा उसका खंडन भी किया था। आपके पहले सवाल का जवाब यह है कि उसकी मुलाकात जेल नॉर्म्स के तहत ही किसी से कराई जाती है। और दूसरे सवाल का जवाब यह है कि न्यूज देखने के बाद हमने CCTV को चेक किया लेकिन हमें कोई पार्टी होती नजर नहीं आई।
रिपोर्टर: आपके जेल में पोस्टिंग के बाद अतीक को कब देखा और क्या देखा? उससे कोई बात हुई ? हुई तो क्या कहा?
जेल सुपरिटेंडेंट: यहां पोस्टिंग के बाद जेल अधीक्षक साहब ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद चले गए। उसके कुछ दिनों में मुझे पुरानी जेल का चार्ज मिला। उसके बाद हमने हाई सिक्योरिटी सेल और अतीक के सेल की निगरानी करने के लिए गए। वो बैठा हुआ था। वो अब बूढ़ा हो गया है। रूटीन वर्क में हम कैदियों से मिलने वाली सुविधाओं और खाने के बारे में पूछते हैं। मैंने उससे खाने के बारे में पूछा कि खाना पीना ठीक मिलता है? उसने सहमति में सर हिलाते हुए कहा कि खाना बढ़िया मिलता है। उसको जेल की रोटी पसंद आने लगी है।
रिपोर्टर: उसकी जेल में किस तरह की इमेज है? बाहुबली की या एक आम कैदी की?
जेल सुपरिटेंडेंट: जेल में आने से पहले सुना था की बहुत बड़ा माफिया है। बाहुबली है। लेकिन जब यहां आकर देखा तो बैरक के बाहर बैठा हुआ मिला। नेचर के हिसाब से उसने जेल में अपनी बाहुबली इमेज कैदियों के बीच में भले बनाई हो लेकिन जेल में आने के बाद तो बड़े बड़ों की हेकड़ी निअक्ल जाती है। मतलब ऍम कैदी बनकर ही रहना पड़ता है।
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