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दो धर्मों के बालिग जोड़े की शादीशुदा जिंदगी में किसी को हस्तक्षेप का अधिकार नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

locationप्रयागराजPublished: Nov 19, 2021 09:26:44 am

Submitted by:

Karishma Lalwani

AU said No one has Right to Interfere in Married Life of Two Adults- इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) ने गैर धर्म में शादी करने के संबंधित मामलों में कहा है कि किसी को भी विपरीत धर्म के दो शादीशुदा बालिग जोड़े की जिंदगी में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।

AU said No one has Right to Interfere in Married Life of Two Adults

AU said No one has Right to Interfere in Married Life of Two Adults

प्रयागराज. AU said No one has Right to Interfere in Married Life of Two Adults. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) ने गैर धर्म में शादी करने के संबंधित मामलों में कहा है कि किसी को भी विपरीत धर्म के दो शादीशुदा बालिग जोड़े की जिंदगी में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। इससे संबंधित कोर्ट ने पुलिस को विपरीत धर्मों के शादीशुदा बालिग जोड़े को जरूरत के मुताबिक सुरक्षा व संरक्षण देने का निर्देश दिया है और विवाह पंजीकरण अधिकारी को जिला प्राधिकारी के अनुमोदन का इंतजार न कर तत्काल पंजीकरण करने का निर्देश दिया है। अगर किसी ने धोखाधड़ी या गुमराह किया तो पक्षकारों को दीवानी व आपराधिक कार्यवाही करने का अधिकार है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने अंतरधार्मिक विवाह करने वाले 17 युगलों की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया है।
सर्कुलर जारी करने का आदेश

कोर्ट ने राज्य सरकार को इस आदेश का पालन करने के लिए सर्कुलर जारी करने को कहा है। सभी कानूनी मुद्दों पर विचार करते हुए कोर्ट ने कहा कि समाज एक आर्थिक और सामाजिक बदलावों से गुजर रहा है। संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन की स्वतंत्रता व निजता के अधिकार की गारंटी है। कोर्ट ने कहा कि विपरीत धर्मों के बालिग जोड़े को शादी करने के लिए परिवार, समाज या किसी की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार है। अगर दो बालिग विवाह के लिए सहमत हैं, तो ऐसी शादी वैध होगी। अधिकारी विवाह पंजीकरण करने से इनकार नहीं कर सकते और धर्म परिवर्तन की सरकारी अनुमति के लिए बाध्य नहीं कर सकते।
इन मामलों से जुड़ा फैसला

कोर्ट ने यह फैसला धर्म बदलकर शादी करने के मामलों में सुनाया है। पहला मामला है वैष्णवी का। वह हिंदू है मगर उसने इस्लाम धर्म स्वीकार करते हुए महाराष्ट्र में मुस्लिम से शादी कर ली। उसके बाद बिजनौर में पंजीकरण की अर्जी दी। दूसरा मामला है जीनत अमान का। वह मुस्लिम है और उसने हिंदू धर्म अपनाया है। आर्य समाज मंदिर बिजनौर में हिंदू लड़के से शादी की। जिलाधिकारी की अनुमति न लेने के कारण उसकी शादी का पंजीकरण से इनकार कर दिया गया। इसी तरह मनाल खान ने धर्म बदलकर आर्य समाज मंदिर कानपुर में हिंदू से शादी कर ली। गुलाफसा नामक व्यक्ति ने भी धर्म बदला और राधाकृष्ण मंदिर अमरोहा मे हिंदू लड़के से शादी की। पंजीकरण अर्जी दी। एकता माधवानी ने धर्म बदला और मुस्लिम लड़के से शादी की।
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