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विद्युत विभाग कर्मचारियों के करोड़ों के जीपीएफ,सीपीएफ घोटाले के आरोपियों की जमानत खारिज

locationप्रयागराजPublished: Apr 08, 2020 08:34:32 pm

कोर्ट ने कहा 42 हजार कर्मचारियों के पैसों का बड़ा वित्तीय घोटाला है

bail accused of the electrical department employees scam dismissed

विद्युत विभाग कर्मचारियों के करोड़ों के जीपीएफ,सीपीएफ घोटाले के आरोपियों की जमानत खारिज

प्रयागराज 8 अप्रैल । हाईकोर्ट ने विद्युत विभाग के 42 हजार कर्मचारियों के जनरल प्राविडेन्ट फंड ; जीपीएफद्ध व कंट्रीब्युटरी प्राविडेन्ट फंड ; सीपीएफद्ध के 2267 ण्9 करोड़ रुपयों के बड़े घोटाले में आरोपियों की जमानत खारिज कर दी है । हाईकोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर कहा कि यह एक बडा वित्तीय घोटाला है जिसे निजी लाभ के लिए किया गया है ।


यह आदेश जस्टिस डी के सिंह ने घोटाले के आरोपी यूपी पीसीएल के पूर्व वित्त निदेशक रहे सुधांशु द्विवेदी व विकास चावला के जमानत अर्जियो को खारिज करते हुए दिया है । द्विवेदी यूपी पीसीएल में बतौर निदेशक वित्त जून 2016 से जून 2019 तक रहे । इनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के साथ आई पी सी की धारा 409, 420, 467, 468,.471,120 बी के अन्तर्गत हजारों करोड़ के इस घोटाले की प्राथमिकी 2 नवम्बर 19 को दर्ज कराई गयी थी । मुकदमा आई एम कौशल ,सचिव ट्रस्ट आफ यूपी पावर कारपोरेशन लिमिटेड ने दर्ज कराई है ।


आरोप है कि द्विवेदी व पी के गुप्ता ने कर्मचारियों के पैसों को राष्ट्रीय बैंक में जमा न कर बिना किसी से अनुमोदन लिए गैरकानूनी प्रक्रिया से 42000 विद्युत कर्मचारियों के जीपीएफ व सीपीएफ के पैसों को कमीशन लेकर एक प्राइवेट संस्थानए दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड ; डी एच एफ एल द्ध में जमा कर दिया । कहा गया है कि जांच में भी यह बात उभर कर आई है । कहा गया है कि आरोपियों ने ऐसा काम कर क्रिमिनल ब्रीच आफ ट्रस्ट का अपराध किया है । उन्होंने आपराधिक षड्यंत्र कर दुर्भावना से व्यक्तिगत लाभ के उद्देश्य से पैसों का बड़ा वित्तीय घोटाला किया है । जांच में पाया गया है कि डी एच एफ एल में करोड़ों के इस पैसों को जमा कराने के एवज में आरोपियों को बड़ा कमीशन भी दिया गया ।

सरकार की तरफ से जमानत अर्जियो का विरोध कर कहा गया कि बिना बोर्ड आफ ट्रस्टी की मीटिंग कराए मनमानी तरीके से इन पैसों को एक प्राइवेट प्राइवेट संस्थान में जमा किया गया । दूसरे आरोपी विकास चावला की जमानत अर्जी भी कोर्ट ने यह कर खारिज कर दी कि उसके व्यक्तिगत एकाउंट में 5.69 करोड़ रुपये जमा किया गया था जिसका कोई हिसाब वह नहीं बता सका । यह सारा ट्रांजैक्शन बतौर कमीशन लिया जाना कहा गया है ।

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