नया ठिकना तलाशने की चर्चा
दरअसल यूपी में जिन सांसदों का टीकट काटने की चर्चा है, उनमें इलाहाबाद के सांसद श्यामाचरण गुप्ता का नाम शामिल है।वही श्यामा चरण गुप्ता अपना नया ठिकना तलाशने को लेकर चर्चा में है।जिसको लेकर पार्टी के खेमे में हलचल है।श्यामा चरण के साथ जिले ही नहीं बल्कि आस पास के अग्रहरी समाज के साथ व्यापारी वर्ग का बड़ा कुनबा जुड़ा है।बीते कुछ दिनों से श्यामा चरण बड़े मंचो से भाजपा की किरकिरी करा चुके है। पार्टी में श्यामा चरण बनाम स्थानीय नेताओं की लड़ाई जग जाहिर है। जिसमे डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या और कैबिनेट मंत्री नन्द गोपाल नंदी हमेशा उनके निशाने पर रहते है ।
बड़े उद्योगपतियों में शुमार
बता दें की कभी भाजपा से अपना राजनितिक सफर शुरू करने वाले श्यामा चरण समय समय पर राजनितिक पार्टी के साथ अपना चुनावी क्षेत्र भी बदल चुके है।और सफलता हासिल कर विरोधियो को पटखनी दी है। प्रदेश के बड़े उद्योगपतियों में शुमार श्यामा चरण, श्याम ग्रुप ऑफ़ कम्पनीज के मालिक है। जिसके अंर्तगत कई कारोबार चलते है। जिसमे सबसे प्रमुख बीडी उद्योग है।श्यामा चरण को बीडी किंग भी कहा जाता है ।श्यामा चरण गुप्ता ने बीते दिनों एक समारोह में कहा था,वैश्य समाज के लोगो के साथ सरकार अन्याय कर रही है ।सरकार इस समाज के लोगो को अपना बंधुवा मजदूर समझती है।वही नोट बंदी से लेकर बीडी की रोक पर भी अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त कर चुके है ।
सपा में है मजबूत पैठ
गौरतलब है श्यामा चरण के टिकट कटने की चर्चाओं के बीच एक बार फिर उनके सपा में जाने सुर्खियाँ तेज़ है। बताया जा रहा है की, श्यामा चरण एक बार फिर समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकते है । जिसके लिए वो पार्टी के बड़े नेताओं के सम्पर्क में है ।और बाँदा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे है। जिसके लिए जमीनी स्तर पर काम शुरू हो गया है। श्यामा चरण की समाजवादी पार्टी में मजबूत पैठ मानी जाती है।जब जहाँ से चाहा सपा ने उन्हें और उनके करीबियों को टिकट दिया ।
सियासी सफ़र
बता दें की श्यामा चरण गुप्ता 1989 में भाजपा के टिकट से इलाहाबाद से मेयर चुने गये ।1991 में इलाहाबाद से लोकसभा का चुनाव लड़े लेकिन हार गये।जिसके बाद उन्होंने पार्टी बदली और 2004 में सपा के टिकट से बांदा से सांसद चुने गये। 2009 की लोकसभा में फूलपुर से प्रत्याशी रहे श्यामा चरण को हार मिली।श्यामा चरण एक बार फिर भाजपा का दामन थामे और मोदी लहर में 2014 में सांसद चुने गये । और अब एक बार फिर उनके दल बदलने की चर्चा जोरो पर है ।