बता दें कि हण्डिया थाना क्षेत्र के मद्रा घाट से लेकर टेला घाट व आसपास के कई घाटों पर नदी पार करने के लिये एक स्टीमर चलता है, जो शनिवार को खराब था। इसके चलते दो दर्जन से ज़्यादा महिला और पुरुष एक मछली मारने वाली छोटी नाव पर सवार होकर अपने गांव वापस लौट रहे थे। तेज धार में डोंगी की पतली तली फट गयी और उसमें पानी भने लगा। सवार लोगों ने फोन कर दूसरी डोंगी मंगायी। पर डोंगी के आने से पहले ही नाव डूब गयी जिससे उसमें सवार भी डूबने लगे।
सूचना पर पुलिस और आसपास के लोग मौके पर पहुंचे और रेस्क्यू कर लोगों को बाहर निकलना शुरू किया। खबर लिखे जाने तक करीब पांच लोग लापता थे और यह भी पता नहीं चल पाया था कि कौन लोग लापता हैं और वह किस गांव के हैं। बताते चलें कि जिस यमुनापार गांव में यह घटना हुई है वह इलाहाबाद जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर है। दशकों से इन इलाके में पक्के पुल का वादा किया जा रहा है, पर वो कभी पूरा नहीं किया गया। लोगों के लिये परेशानी की बात यह है कि यदि वो नाव का सहारा न लें तो उन्हें अपने गांव आने के लिये रोजाना 25 किलोमीटर और सफर करना पड़ेगा। लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव के साथ स्थानीय चुनाव तक यह वादे किए जाते हैं, कि इस कार्यकाल में स्थायी पुल का निर्माण होगा। पर होता नहीं, वह भी तब जब यह इलाका पूर्व सांसद डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी से लेकर रेवती रमण सिंह और अब तत्कालीन सांसद श्यामाचरण गुप्ता के इलाके में आता है।
इस बार अब तक नहीं बना अस्थायी पीपा पुल
यहां हर साल अस्थायी पीपा पुल तो लगाया जाता है, पर बरसात के समय पानी बढ़ने पर हटा दिया जाता है और बीत जाने पर फिर बनता है। इस बार बरसात बीत जाने के बाद भी पीपा पुल अब तक नहीं बना। इस बार भी बरसात बीतने के बाद उसे बनना था। जो अभी तक नहीं बना। इसके चलते लोगों को नावों और डोंगी का सहारा लेना पड़ता है। इसी के चलते लोगों की जान आफत में पड़ी।
यहां हर साल अस्थायी पीपा पुल तो लगाया जाता है, पर बरसात के समय पानी बढ़ने पर हटा दिया जाता है और बीत जाने पर फिर बनता है। इस बार बरसात बीत जाने के बाद भी पीपा पुल अब तक नहीं बना। इस बार भी बरसात बीतने के बाद उसे बनना था। जो अभी तक नहीं बना। इसके चलते लोगों को नावों और डोंगी का सहारा लेना पड़ता है। इसी के चलते लोगों की जान आफत में पड़ी।
पहले भी हो चुका है बड़ा नाव हादसा
इस घाट के बगल बने जहाज पर कई साल पहले ऐसा ही एक हादसा हुआ जिसमें तकरीबन दो दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। इन सारी घटनाओं के बाद भी प्रशासन और सरकार की ओर से इसकी सुधि नहीं ली गयी।
इस घाट के बगल बने जहाज पर कई साल पहले ऐसा ही एक हादसा हुआ जिसमें तकरीबन दो दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। इन सारी घटनाओं के बाद भी प्रशासन और सरकार की ओर से इसकी सुधि नहीं ली गयी।
by PRASOON PANDEY