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Breaking गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज हादसा, राज्य सरकार ने कोर्ट में पेश की रिपोर्ट  

locationप्रयागराजPublished: Sep 12, 2017 01:06:00 pm

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत मामले में सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई

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बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत

इलाहाबाद. बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत मामले में सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान उ.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने कोर्ट में सीलबन्द रिपोर्ट पेश की। वहीं राज्य सरकार की ओर से भी सीलबन्द रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई। बता दें कि, मामले की अगली सुवनाई 18 सितम्बर को इलाहाबाद हाईकोर्ट में होगी। दरअसल, इस मामले में हाईकोर्ट ने विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को जांच के निर्देश दिये थे। बता दें कि, लोकेश खुराना और कई अन्य ने याचिका दाखिल की है। जिसकी सुनवाई चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस एमके गुप्ता की खंडपीठ कर रही है।
यह है पूरा मामला

मुख्यमंत्रयोगी आदित्यनाथ के दौरे के अगले दिन बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन की कमी और इंसेफेलाइटिस से पांच दिनों में 60 मासूमों की जान चली गई थी। आक्सीजन सप्लाई करने वाली फर्म ने 69 लाख रूपये बकाया के चलते सप्लाई ठप कर दिया था। सुबह से आक्सीजन की किल्लत का खामियाजा बेचारे मरीजों को भगुतना पड़ा था। हालांकि, मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने इतनी संख्या में बच्चों की मौत को खारिज करते हुए यह कहा था कि दोपहर बाद से आक्सीजन की सप्लाई सुचारू हो गई थी।
BRD हादसा में चार गिरफ्तार, एक का आत्मसमर्पण लेकिन चार अभी भी फरार

 बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मासूमों की मौत के मामले में अबतक पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है जबकि एक आरोपी ने न्यायालय में आत्मसमर्पण किया है। लगातार छापेमारी के दावे का बावजूद पुलिस के हाथ अभी भी कई मुख्य आरोपी नहीं लग सके हैं। सबसे चर्चित पुष्पा सेल्स का मालिक मनीष भंडारी भी अभी तक पुलिस की पहुंच से बाहर है।
हालांकि, आला अधिकारियों के अनुसार हादसे में फरार बाकी आरोपियों की तलाश में पुलिस, एसटीएफ और क्राइम ब्रांच की टीमें लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, नोएडा और गाजियाबाद भेजी गईं हैं। पुलिस का दावा है कि सभी आरोपी जल्दी ही गिरफ्तार कर लिए जाएंगे। हाईकोर्ट द्वारा गिरफ़्तारी पर रोक की याचिका ख़ारिज करने के बाद आरोपियों के बचने का रास्ता तो बंद हो चुका है मगर कई आरोपी खुद को पुलिस की नजरों से बचाने में सफल हो गए हैं। पुलिस का मानना है कि ठिकाना बदलने की वजह से वे पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ रहे हैं। आशंका यह भी है कि फरार सभी आरोपी या तो विदेश भाग चुके हैं या किसी अन्य राज्य में शरण लिए हैं।
इन धाराओं में केस है दर्ज 

आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 308, 120 बी, 420, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 8, इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट 1956 के सेक्शन 15, आईटी एक्ट 2000 के सेक्शन 66 के तहत केस दर्ज है। 
 इन लोगों की है पुलिस को तलाश

आरोपी 1: लिक्विड ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता पुष्पा सेल्स का मनीष भंडारी

ये है आरोप: पुष्पा सेल्स में ऑक्सीजन की सप्लाई ठप कर दी थी। ऑक्सीजन जीवनरक्षक है। इसकी आपूर्ती बंद करना गुनाह है। इसके लिए आपूर्तीकर्ता मनीष भंडारी के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था। फ़िलहाल फरार है। इसको गिरफ्तार करना पुलिस के लिए सबसे अहम चुनौती है।
आरोपी 2,3,4 : लेखा विभाग के तीन कर्मचारी

ये है आरोप: लेखाविभाग भी मौत के मंजर की पटकथा लिखने में अहम सहयोग का गुनाहगार है। जिस कमीशन की बात हो रही उसकी नींव यहीं है। हालांकि, भेजी गई रपट के अनुसार इन पर आरोप है कि जब शासन से बजट आया तो प्राचार्य को बताने में लेटलतीफी की गई। उनके पास पत्रावली देर से पेश की गई। इन आरोपों में कार्यालय सहायक उदय प्रताप शर्मा, लिपिक संजय कुमार त्रिपाठी व सहायक लेखाकार सुधीर कुमार पांडेय की लिप्तता पाई गई। इस लिए इनके खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज कराई गई। दो अभी भी फरार हैं। सुधीर पांडेय को शुक्रवार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
 आरोपी 9: मेडिकल कॉलेज में तैनात चीफ फार्मासिस्ट गजानन जायसवाल

 ये है आरोप: डॉ.सतीश कुमार के साथ आक्सीजन की उपलब्धता, लॉग बुक और स्टाक बुक का जिम्मा गजानन जायसवाल पर ही था। लॉग बुक व स्टॉक बुक में अनियमित इंट्री है। कई जगह आंकड़ों में बाजीगरी दिखाने के लिए ओवरराइटिंग भी हुई है। ये भी फरार हैं।
 इनकी हो चुकी है गिरफ़्तारी, जा चुके हैं जेल

 आरोपी 5: निलंबित प्राचार्य डॉ. राजीव मिश्रा 

 यह है आरोप: रपट के अनुसार बीआरडी मेडिकल कॉलेज के निलंबित प्राचार्य डॉ. राजीव मिश्रा का अपने ही स्टाफ व सहयोगी डॉक्टर्स पर कोई प्रभाव नहीं। इनके आदेशों की अनदेखी तक करते रहे। प्राचार्य को सब पता होने के बाद भी ऑक्सीजन सप्लाई सुचारू रहे इसके लिए कोई पहल नहीं की गई। यहां तक कि आपूर्ति बंद होने की चेतावनी सम्बंधित सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं दी। हद तो यह कि मेडिकल कॉलेज में इतने बड़े संकट की आशंका को जानने के बाद भी 9 अप्रैल को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दौरे के तत्काल बाद छुट्टी पर चले गए। उनपर खुद मुख्यमंत्री भी आरोप लगा चुके हैं कि वह दो दिन पहले चार घंटे तक मेडिकल कॉलेज में रहे लेकिन एक बार भी इस संभावित संकट पर चर्चा नहीं की। इसलिए इनपर केस दर्ज हुआ। एसटीएफ में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। 
आरोपी 8: डॉ.पूर्णिमा शुक्ला

 निलंबित प्राचार्य की पत्नी हैं। गोला में तैनाती के बाद खुद को मेडिकल कॉलेज में संबद्ध कराया गया। फ़ोन पर कर्मचारियों से कमीशन की मांग की जाती थी। आरोप है कि पेमेंट में लेटलतीफी में इनका भी योगदान था। ये मेडिकल कॉलेज में हर मामले में अवैध हस्तक्षेप करती थीं। ऑक्सीजन मामले में आरोपी बनाकर एफआईआर दर्ज कराया गया है। एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया। 
 आरोपी 7: डॉ.कफील खान

 यह 100 नम्बर के प्रभारी थे। ऑक्सीजन ख़त्म होने की बात अधिकारियों तक समय से नहीं पहुंचाई। इसके अलावा इनपर प्राइवेट प्रैक्टिस का भी आरोप है। इसलिए ये भी इस मामले में आरोपी हैं और इनके खिलाफ भी केस दर्ज है। एसटीएफ ने किया था गिरफ्तार। 
आरोपी 4: सुधीर पांडेय

 लेखा विभाग का लिपिक सुधीर पांडेय भी ऑक्सीजन कांड का आरोपी है। घूस के लिए फाइल देर से प्रस्तुत करने का आरोप है। 

इन्होंने किया सरेंडर

 आरोपी 6: स्टॉक प्रभारी व एनेस्थीसिया के हेड डॉ.सतीश कुमार। सोमवार को डॉ.सतीश ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया। इनको भी न्यायालय ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
 यह है आरोप: रपट के अनुसार ऑक्सीजन की सप्लाई की सुनिश्चितता डॉ.सतीश कुमार पर ही थी। डॉ.सतीश ऑक्सीजन की उपलब्धता सम्बंधित व स्टॉक आदि के प्रभारी थे। लेकिन इन्होंने कभी भी स्टॉक रजिस्टर या लॉग बुक चेक करने की जहमत तक नहीं उठाई। कर्मचारियों के भरोसे सब रहा। हद तो यह कि जब ऑक्सीजन के लिए अफरातफरी मची थी, पूरे देश की निगाहें मेडिकल कॉलेज में थी तो वह बिना किसी आधिकारिक सूचना के मुंबई 11 अगस्त को चले गए। 100 बेड वाले एईएस वार्ड में एसी ख़राब होने की लिखित शिकायत के बाद भी इन्होंने कोई सक्रियता नहीं दिखाई। ऐसा आरोप रिपोर्ट में है। बताया जा रहा एसी ख़राब होने पर मासूम बच्चों के गर्मी से बेहाल होने का जिक्र लिखित रूप से हटाए गए प्रभारी डॉ.कफील ने दी थी। इसलिए इनपर केस हुआ। अभी फरार चल रहे। 
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