मायावती के करीबियों में मुख्तार की भी गिनती होती थी। यही कारण है कि जब वह बसपा में शामिल हुआ तो तोहफे में उसे जिलाध्यक्ष की कुर्सी दी गई थी। नवंबर, 1995 में मुख्तार अंसारी को बसपा का जिलाध्यक्ष घोषित किया गया था। इसके बाद ही 1996 में उसे बसपा से हाथी के निशान पर चुनाव लड़ाया गया। इस दौरान वह पहली बार जीत हासिल करके विधानसभा पहुंच गया। उस समय उसके अपराध के किस्से हर किसी के जुबान पर हुआ करते थे। राजनीति में उसकी एंट्री होते ही लोगों को यह डर सताने लगा था कि अब उसे बड़े नेता का भी सहारा मिल जाएगा।