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इलाहाबाद विश्वविद्यालय चुनाव से तो नहीं जुड़े हैं बसपा नेता राजेश यादव की हत्या के तार ?

locationप्रयागराजPublished: Oct 04, 2017 12:11:57 am

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में चुनावी प्रक्रिया शुरू होने के ठीक पहले छात्रावास में बसपा नेता की हत्या छात्रसंघ और आपराधिक कनेक्शन तो नहीं।

BSP Leader Killed in Allahabad University

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बसपा नेता की हत्या

इलाहाबाद. बहुजन समाज पार्टी के नेता राजेश यादव की हत्या उस समय हुई है जब इलाहाबाद विश्वविद्यालय के चुनाव होने वाले हैं। हत्या ठीक बाद यानि बुधवार को नामांकन फॉर्म की बिक्री शुरू होनी है। ऐसे में सवाल उठता है कि कहीं राजेश यादव की हत्या के तार विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव से तो नहीं जुड़े हैं। यदि ऐसा नहीं है तो आखिरकार चुनावी प्रक्रिया शुरू होने के ठीक पहले वह युनिवर्सिटी के ताराचंद छात्रावास क्यों गए थे? वहां आखिरकार ऐसा क्या हुआ जो बात उनकी हत्या तक पहुंच गयी। न सिर्फ इस हत्या के तार छात्रसंघ चुनाव से जोड़कर देखे जा रहे हैं, बल्कि चुनाव के अपराधीकरण और हिंसा की भी आशंका को बल मिल रहा है।
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छात्रसंघ चुनाव की सरगर्मियों के बीच हत्याकांड के चलते एक बार फिर विश्वविद्यालय के छात्रसंघ की राजनीति सवालों के घेरे में है। इससे युनिवर्सिटी की साख भी प्रभावित हो रही है, क्योंकि इविवि के छात्रसंघ चुनाव का राजनीतिक तौर पर बड़ा महत्व है। एक ऐसा भी दौर रहा है जब यहां के छात्रसंघ से देश की राजनीतिक लहर तय होती थी। ब्यूरोक्रेसी में इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने अपने छात्रों के द्वारा बड़ा योगदान दिया ही है यहां की छात्र राजनीति ने भी देश को पूर्व प्रधानमंत्री वीपी व चंद्रशेखर, पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी व संविधान विद सुभाष कश्यप सहित दर्जनों बड़े नाम दिये हैं। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू सहित कई नामचीन हस्तियां यहां से जुड़ी रही हैं।
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डॉक्टर मुकुल और राजेश यादव आधी रात के बाद छात्रवास क्यों गए
सोमवार की देर रात विश्वविद्यालय के छात्रावास में एक बार फिर गोलीकांड से छात्रसंघ चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है। हत्याकाण्ड में सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब विवि में छात्रसंघ चुनाव का दौर चरम पर है, तब देर रात 2:00 बजे शहर का प्रतिष्ठित डॉक्टर वहां क्या करने गया था। आखिर वह नेता जो जिले की राजनीति में सक्रिय नहीं है वह क्यों वहां गया। जाहिर है मुकुल सिंह सवालों के घेरे में हैं, पर इसकी असलियत तो तब सामने आयेगी जब पुलिस उनसे पूछताछ करेगी। छात्रसंघ चुनाव में छात्र नेता धन उगाही करने के लिये व्यापारी और प्रतिष्ठित लोगों को निशाना न बनाएं इसके लिये जिला प्रशासन पहले से ही चिंतित है। छात्रसंघ चुनाव की घोषणा के बाद अपनी पहली बैठक में ही जिला प्रशासन ने विश्वविद्यालय प्रशासन से जोर देते इस बात को कहा था। प्रशासन का साफ कहना था कि छात्रसंघ चुनाव के दौरान इस बात पर जरुर नजर रखी जाय कि छात्र नेता धन उगाही के लिये किसी को निशाना न बनाएं और उन्हें पूरी सुरक्षा दी जाय। बावजूद इसके शहर का प्रतिष्ठित डॉक्टर देर रात वहां गया और छात्रावास में हत्या भी हो गई। इससे दो बातें साफ हो जाती हैं कि विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव को लेकर किस कदर लापरवाह बना हुआ है और छात्रसंघ और रसूख वाले लोगों कनेक्शन गहरा है।
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पहले भी चुनाव के दौरान हुई है हत्या
2006 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के चुनाव के दौरान समाजवादी छात्र सभा के प्रत्याशी रहे कमलेश यादव की वोटिंग वाले दिन गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कमलेश यादव शहर के जाने माने डॉक्टर यूबी यादव के भतीजे थे। उस वक्त भी पूरे शहर को कार्यकर्ताओं ने आग के हवाले कर दिया था। कमलेश यादव हत्याकांड का आरोप विश्वविद्यालय के तत्कालीन उपाध्यक्ष मनोज सिंह पर आया। मनोज सिंह इस मामले में पांच साल तक जेल में रहे। इन दिनों वह बीजेपी के नेता और जौनपुर से ब्लॉक प्रमुख हैं। समाजवादी पार्टी के लंबे संघर्षों के बाद 2012 में छह साल बाद स्वच्छ छात्र राजनीति के मकसद से छात्र संघ बहाल किया गया। पर एक बार फिर इलाहाबाद विश्वविद्यज्ञलय के ऐतिहासिक छात्रसंघ की प्राचीर पर खून के धब्बे लग ही गए।
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जब दिनदहाड़े गोलिया चली थी
छात्रसंघ चुनाव कराने के लिए इलाहाबाद में जिला प्रशासन और विश्वविद्यालय प्रशासन तमाम बैठकर करने के बावजूद भी एक बार फिर असफल साबित हुआ है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इसके पहले भी चुनाव के दौरान हत्या और हत्या के प्रयास होते रहे हैं। कमलेश यादव हत्याकांड के बाद लिंगदोह की सिफारिशों के बावजूद भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अभिषेक सिंह माइकल जेल से चुनाव लड़कर जीत चुका है। अभिषेक सिंह माइकल वही छात्र नेता है जिसने अभिषेक सिंह सोनू पर ताबड़तोड़ गोलियां चलायी थीं। दोनों ओर से दिन दहाड़े फायरिंग की घटना में दोनों ही घायल हुए थे। वर्तमान में दोनों ही प्रदेश के अलग.अलग जिलों में हत्या के प्रयास के मामले में जेल में बंद हैं। सवाल है कि आखिरकार लिंगदोह कमेटी की कड़ी सिफारिशों के लागू होने के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन छात्र संघ के अपराधीकरण को और जिला प्रशासन विश्वविद्यालय के बाहरी धनबल और बाहुबल के छात्रसंघ कनेक्शन को खत्म क्यों नहीं कर पा रहा है।
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छात्रावास से राष्ट्रपति तक
आज जिन छात्रावासों का जिक्र इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अपराधीकरण के सिलसिले में हो रहा है, कभी इन्हीं छात्रावासों को आईएएस की फैक्ट्री कहा जाता था और देश का नाम रोशन करने वाले बड़े चेहरे यहां से निकला करते थे। दुनिया में जहां इसे आईएएस और पीसीएस की खेती का स्थल कहा जाता है, तो वहीं राजनीतिक, साहित्यक और विद्वानों की धरती भी कही जाती है। इविवि छात्रावास से निकले डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जिन्होंने देश के राष्ट्रपति पद को शुशोभित किया।
by PRASOON PANDEY

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