यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी. भोसले तथा न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खण्डपीठ ने दिलीप कुमार सिंह की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता एन.के पाण्डेय व राज्य सरकार की तरफ से अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानन्द पाण्डेय ने बहस की। याची का कहना है कि प्राइमरी सहकारी समिति, क्रय विक्रय समिति, सहकारी यूनियन, उपभोक्ता संघ अपना डेलीगेट चुनते हैं और सभी डेलीगेट मिलकर सेन्ट्रल कंज्यूमर कोआपरेटिव सोसायटी की प्रबंध समिति का चुनाव करते हैं। राज्य चुनाव आयोग के निर्देश पर एडीएम सिटी वाराणसी चुनाव अधिकारी ने डेलिगेट्स का चुनाव कराया। सभी निर्विरोध निर्वाचित घोषित किये गये। इसके खिलाफ भाजपा नेता डा. एसपी तिवारी ने शिकायत की। जिस पर विचार करते हुए चुनाव अधिकारी ने निरस्त कर दिया। मतदाता सूची में गलत तरीके से लोगों को शामिल किये जाने पर आपत्ति की गयी थी।
इसी शिकायत को जिलाधिकारी ने चुनाव आयोग को भेजा, जिस पर आयोग ने प्रबंध समिति के चुनाव पर रोक लगाते हुए डेलीगेटों का नये सिरे से चुनाव कराने का आदेश दिया। जिसे याचिका में चुनौती दी गयी है। याची अधिवक्ता का कहना है कि आयोग को चुनाव प्रक्रिया बीच में रोकने का अधिकार नहीं है। आयोग ने बीस अप्रैल 2018 को डेलीगेट का चुनाव कार्यक्रम जारी करने का भी आदेश दिया है। याचिका में चुनाव में हस्तक्षेप की वैधता का मुद्दा उठाया गया है। सरकार का कहना है कि यदि चुनाव किन्हीं कारणों से रूक गया है तो उसे नये सिरे से शुरूआती तौर पर कराया जा सकता है।
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