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इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र नेताओं का सविनय अवज्ञा आंदोलन ,कहा परिषद होगी चाटुकारों की टोली

locationप्रयागराजPublished: Oct 04, 2019 05:55:46 pm

कुलपति को फिर छुट्टी पर भेजवाने की कोशिश ,दिल्ली तक लाम बंद हुए छात्रसंघ के पुरोधा

Civil disobedience movement for student union election AU

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र नेताओं का सविनय अवज्ञा आंदोलन ,कहा परिषद होगी चाटुकारों की टोली

प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र संघ को समाप्त करने के निर्णय के बाद छात्र परिषद गठित कराना विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। एक तरफ जहां विश्वविद्यालय में छात्रसंघ बहाली को लेकर आंदोलन चल रहा है। वहीं विश्वविद्यालय का प्रशासनिक अमला छात्र परिषद के गठन की तैयारियों में जुटा है ।विश्वविद्यालय द्वारा कैंपस में नवप्रवेशी छात्रों के परिचय पत्र बनाने की तिथि शुक्रवार को समाप्त कर दी। जिसके साथ नए मतदाताओं के साथ कैंपस के पुराने मतदाता की सूची कैंपस में तैयार होने का कम भी शुरू हो गया है। वही छात्र नेता डोर टू डोर जाकर छात्र परिषद का विरोध शुरू किया है । नेताओं ने छात्रसंघ को शक्ति पुंज तो छात्र परिषद को नामित चाटुकारों की टोली करार दिया है ।

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दशहरे बाद परिषद चुनाव की उम्मीद
बीते शैक्षिक सत्र में विश्वविद्यालय में पांच अक्टूबर को छात्रसंघ चुनाव संपन्न कराए गए थे। उसी दिन देर रात परिणाम घोषित कर दिए थे। लेकिन इस शैक्षिक छात्र में विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद की महत्वपूर्ण बैठक में छात्र संघ को समाप्त कर छात्र परिषद के गठन का निर्णय लिया है।जिसका विरोध लगातार जारी है। विश्वविद्यालय की प्रशासनिक हलचल को देख लग रहा है की दशहरे की छुट्टी के बाद विश्वविद्यालय में छात्र परिषद के गठन की तिथियां घोषित कर दी जाएंगी । जिसके साथ छात्रसंघ भवन में पूरी तरह से ताला लग जाएगा।

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कुलपति को छुट्टी पर भेजवाने की कोशिश
वही छात्रसंघ बहाली की मांग करने वाले छात्र नेता लामबंद हो गए है। छात्र नेताओं का एक खेमा दिल्ली में डेरा डाले हैं । छात्रनेताओं के एक गुट के साथ ही पूर्व शिक्षक और कर्मचारी भी विवि के कुलपति के खिलाफ लगे हुए है। वही विवि के सूत्रों की माने तो शिक्षको का भी एक खेमा कुलपति को छुट्टी पर भेजे जाने की वकालत कर रहा है। जो भीतर खाने से छात्रसंघ और बागी हुए पूर्व शिक्षको के साथ है। बता दें की इसके पहले भी वीसी के आडियो वायरल और वित्तीय अनियमित्ता के मामले में कुलपति छुट्टी पर भेजे जा चुके है।


डोर टू डोर छात्र परिषद का विरोध

छात्र नेताओं ने सविनय अवज्ञा आंदोलन के तहत छात्र परिषद के विरोध का निर्णय लिया है। जिसके तहत छात्र नेता आम छात्रों के कमरों तक पहुंचकर छात्र परिषद के विरोध करने के लिए उन्हें एकजुट कर रहे है। जिसकी जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय के उपाध्यक्ष अखिलेश यादव ने बताया कि संयुक्त संघर्ष समिति ने यह निर्णय लिया है की,डेलीगेसी तथा छात्रावासों में रह रहे छात्रों से मिलकर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। जिसकी शुरुवात भी कर दी गई है। अखिलेश ने कहा की छात्र परिषद कुलपति की साजिश है। लिंगदोह समिति कि सिफारिशों में भी कहा गया कि हर हाल में छात्रों की चुनी हुई प्रतिनिधि सभा होनी चाहिए । छात्र परिषद कोई भी विधि सम्मत व्यवस्था नहीं है। अखिलेश के अनुसार सुप्रीम ने या हाईकोर्ट ने यह कभी नहीं कहा छात्र परिषद हो या छात्र संघ।

सभी केन्द्रीय विश्वविद्यालय में हो रहे छात्रसंघ चुनाव
अखिलेश ने कहा लिंगदोह समिति की अवहेलना के बगैर ही छात्र संघ का चुनाव कई विश्वविद्यालयों में हो रहा है। चाहे वह दिल्ली विश्वविद्यालय हो, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय हो,हैदराबाद विश्वविद्यालय हो, राजस्थान विश्वविद्यालय हो या पंजाब विश्वविद्यालय में चुनाव हो जितने भी केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं सब ***** दोह की सिफारिशों के अनुसार ही अपने -अपने विश्वविद्यालयों में चुनाव करा रहे हैं। कभी किसी अदालत ने नहीं कहा कि छात्र संघ की जगह छात्र परिषद होनी चाहिए। यह गुमराह करने की नियत से फैलाई गई अफवाह है इसका हर हाल में बहिष्कार करें।

छात्र संघ
संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा लिए गए सविनय अवज्ञा आंदोलन में बैठक के बाद बताया गया कि जिसके तहत कुलपति की कारगुजारियों को आम छात्रों तक पंहुचाने का निर्णय लिया गया है। संघर्ष समिति ने कहा की छात्र संघ एक चुना हुआ छात्र संगठन है। यह छात्र हितों का चौकीदार है। छात्रसंघ गौरवशाली परंपरा का वाहक है। छात्र संघ स्वतंत्र मृगेंद्र है। छात्रसंघ शक्तिपुंज है।

छात्र परिषद
वही छात्र परिषद को घेरते हुए समिति ने कहा कि छात्र परिषद एक नामित चाटुकार समिति है। यह कुलपति की तीमारदारी करती है। छात्र परिषद कुलपति द्वारा खोजी गई सेवा समिति है। तो वहीं छात्र परिषद खूंटे से बंधी हुई बकरी है। छात्र परिषद दगा पटाखा है।

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