2019 के चुनावी तैयारियों में लगी कांग्रेस को अपने ही घर और घर में बुरी तरीके से हार मिली है। कांग्रेस की विरासत संभालने निकले राहुल गांधी के लिए के यह अच्छा संदेश नही है । आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस का ब्राह्मण और जनउधारी कार्ड भी फूलपुर के उपचुनाव में काम नहीं आया।पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर विजयलक्ष्मी पंडित कमला बहुगुणा जैसे कांग्रेसी धुरंधरों इस सीट पर कांग्रेस का जमानत भी ना बचा पाना उसकी प्रतिष्ठा के लिए बड़े सवाल खड़े करता है ।
बीते 34 सालों में हर बार कांग्रेस की स्थिति पहले से खराब होती गई है।1984 में आखरी बार रामपूजन पटेल कांग्रेस के टिकट पर यहां से सांसद हुए थे । उसके बाद से आज तक कांग्रेस अपनी पहचान के लिए फूलपुर संसदीय क्षेत्र में जद्दोजहद करने में जुटी है।फूलपुर लोकसभा में 2014 के चुनाव कांग्रेस पार्टी ने पूर्व क्रिकेटर है । मोहम्मद कैफ को सियासी मैदान में उतारा तो उनकी यह चाल भी नाकामयाब साबित हुई। उस समय कैफ को 58172 वोट हासिल हो सके । जबकि उपचुनाव में उतारे के प्रत्याशी मनीष मिश्रा को 19334 वोट मिले।
आंकड़ों के अनुसार देखे तो 1951 से लेकर अब तक कुल 18 चुनाव में 7 बार कांग्रेस और 5 बार समाजवादी पार्टी जीती है । वीपी सिंह यहां से जीतकर प्रधानमंत्री बने हैं । पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने यहाँ इफ्को की स्थापना की थी । जो आज भी लाके का सबसे बड़ा रोजगार का साधन बना है । इंदिरा गांधी के निजी सचिव जे एन मिश्रा के नाम के कारण कांग्रेस के उनके बेटे मनीष मिश्रा का प्रत्याशी बनाया लेकिन इस साल भी कामयाब नहीं हो सके ।कांग्रेस की हार का बड़ा कारण यह भी रहा की कांग्रेस का वेस वोट यहाँ पूरी तरह से खत्म हो चुका है ।कांग्रेस का संगठन भयंकर गुटबाजी का शिकार है ।