न्यायमूर्ति अशोक भूषण (वर्तमान सुप्रीमकोर्ट न्यायमूर्ति) तथा न्यायमूर्ति अरूण टंडन (सेवानिवृत्त) की खण्डपीठ ने 29 मई 09 के आदेश से 23 अगस्त 07 की योजना को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि पर्यावरण क्लीयरेंस व गंगा रीवर बेसिन अथारिटी की अनुमति लेकर गंगा की स्वच्छता व प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए ही निर्माण किया जा सकता है। वर्तमान सरकार ने मेरठ से अमरोहा, बुलंदशहर, बदायूं, शाहजहांपुर, फरूर्खाबाद, कन्नौज, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली होते हुए प्रयागराज तक गंगा एक्सप्रेस वे निर्माण की योजना घोषित की है।
ऐसी ही योजना 07 में मायावती सरकार ने लागू करने की कोशिश की थी जिसे हाईकोर्ट ने लम्बी सुनवाई के बाद 8 लेन एक्सप्रेस योजना रद्द कर दी थी। इसके बाद 64 हजार हेक्टेयर जमीन अधिगृहीत की जानी थी। 1047 किलोमीटर एक्सप्रेस वे का निर्माण किया जाना था। कोर्ट ने कहा कि गंगा एक्सप्रेस वे निर्माण की अनुमति दीगयी तो गंगा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद सरकार उसी एक्सप्रेस वे का निर्माण कराने जा रही है। जो कोर्ट के आदेश की अवहेलना है, पुनर्विचार किया जाए।
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