दरअसल फूलपुर उपचुनाव की घोषणा के बाद इलाहाबाद में पीट-पीटकर मार दिये गए एलएलबी के दलित छात्र दिलीप सरोज की हत्या पर सियासी रंग चढ़ चुका है। सोमवार को राम अचल राजभर और पूर्व सांसद सुरेश पासी ने उनके पैतृक निवास प्रतापगढ़ के भुलसा गांव पहुंचकर दलित राजनीति को हवा दे दी थी। प्रतिष्ठापरक सीट फूलपुर के उपचुनाव के चलते दलित राजनीति को हवा देकर शह और मात का खेल शुरू हो गया। राम अचल राजभर ने तो आंदोलन तक की चेतावनी दे डाली।
उनके जाने के बाद सत्ताधारी दल की बेचैनी बढ़ी और आनन-फानन में केशव मौर्य का कार्यक्रम लगाया गया। पर उनके आने के पहले ही वहां राजा भइया पहुंच गए। मामला प्रतापगढ़ का होने के नाते बाहुबली विधायक राजा भइया ने इसे अपने कर्तव्य की तरह प्रस्तुत किया। उन्होंने दिलीप सरोज के परिवार को न्याय दिलाने का जिम्मा खुद ले लिया। दावा किया कि हर हाल में न्याय दिलाउंगा।
इधर राजा भइया गए तो डिप्टी सीएम केशव मौर्य भी सरकारी मदद लेकर दिलीप सरोज के घर जा पहुंचे। उनहोंने दिलीप सरोज के पिता से मुलाकात की और उन्हें भरोसा दिलाने की कोशिश किया कि उनके बेटे के हत्यारों को बख्शा नहीं जाएगा। 20 लाख रुपये की मदद दी और एससी-एसटी कोटे की साढ़े चार लाख की अतिरिक्त मदद का प्रमाण पत्र दिया। यह बताते गए कि योगी सरकार उनके बेटे की हत्या की जांच कमेटी से कराकर दोषियों को कड़ी सजा दिलवाएगी। इस दौरान उन्होंने हत्यारोपितों के किसी भी बीजेपी नेता से संबंध होने की खबरों को निराधार बताया।
डिप्टी सीएम निकले तो उनके जाने के कुछ समय बाद समाजवादी पार्टी के नए-नए नेता बने बसपा के पूर्व दलित नेता इन्द्रजीत राजभर जा पहुंचे। कहा कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव के कहने पर आया हूं। उन्होंने अखिलेश यादव की ओर से भेजी गयी आर्थिक सहायता का चेक दिलीप की मां को सौंपा। परिवार को उन्होंने भी हर संभव मदद और पूरा साथ देने का वादा कर दिया।
कुल मिलाकर दलित छात्र की मौत के बाद फूलपुर उपचुनाव को लेकर दलित राजनीति तेज हो गयी है। अब देखने वाली बात यह होगी कि उपचुनाव के पहले दलित वोटबैंक की शुरू हुई यह सियासत क्या गुल खिलाती है। बीजेपी एक बार फिर फूलपुर में कमल खिला पाएगी या फिर विपक्षी भाजपा को चारो खाने चित करने में कामयाब होंगे।