डाक्टर के वकील का कहना था कि वह नामी चिकित्सक हैं। वह पिछले कई महीने से जेल में बंद हैं। कहा गया कि डॉ. कफिल इंसेफलाइटिस वार्ड के इंचार्ज थे। इस नाते उन्हें बच्चों की हुई मौत मामले में दर्ज मुकदमे में अन्य लोगों के साथ आरोपी बनाया गया है। आक्सीजन की कमी के चलते इंसेफलाइटिस से पीड़ित बच्चों की बीआरडी मेडिकल कालेज में मौत हुई। कहा गया था कि आक्सीजन की सप्लाई में याची की कोई सीधी भूमिका नहीं थी। प्रदेश सरकार की ओर से इस जमानत अर्जी का विरोध किया गया तथा कहा गया कि चूंकि याची इंसेफेलाइटिस वार्ड का इंचार्ज था। इस नाते उसका यह दायित्व था कि, वह यह देखे कि, बच्चों की बीमारी में जरूरी आक्सीजन की कमी न होने पाए। कहा गया कि डाक्टर की लापरवाही से दिन में बच्चों की मौत हुई थी। एक माह के भीतर लगभग तीस से अधिक बच्चे हास्पिटल में मरे थे क्योंकि उनको सही उपचार नहीं मिल पाया। कोर्ट ने जमानत का पर्याप्त आधार पाते हुए जमानत अर्जी स्वीकार कर ली है।