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भाजपा के दिग्गज नेता डॉ मुरली मनोहर जोशी पर सबकी नजरें ,आज हो सकता है बड़ा निर्णय

locationप्रयागराजPublished: Mar 26, 2019 10:59:27 am

लाल कृष्ण आडवाणी के टिकट कटने के बाद समर्थक सहित पूरा शहर दिल्ली की ओर लगाया है टकटकी

प्रयागराज । देश भर के नेताओं के लिए लोकसभा चुनाव ख़ास है। लेकिन भाजपा के दिग्गज नेता की कर्मभूमि के लिए और भी महत्वपूर्ण है।भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक रहे लालकृष्ण आडवाणी का टिकट कटने के बाद देश भर की नजरें डॉ मुरली मनोहर जोशी पर टिकी है। सभी को उनके और पार्टी के निर्णय का इंतज़ार है। डॉ मुरली मनोहर जोशी भारतीय जनता पार्टी की पहली पंक्ति के वो नेता रहे जिनकी एक आवाज पर पार्टी का हर नेता एक साथ नजर आता था। भाजपा के कार्यकर्त्ता से लेकर शीर्ष नेतृत्व की कमान संभालने वाले डॉ जोशी के राजनितिक भविष्य की ओर हर कोई टकटकी लगाये देख रहा है। माना जा रहा है की मंगलवार को पार्टी या डॉ जोशी की तरफ से कोई निर्णय या एलान किया जा सकता है ।
तीन बार जीत का रिकार्ड
डॉ मुरली मनोहर जोशी की कर्मभूमि इलाहाबाद रही।1996- 1998-1999 आम चुनाव जीतकर संसद में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी। इलाहाबाद लोकसभा सीट से लगातार तीन बार जीतने का रिकॉर्ड जोशी के नाम पर दर्ज है। यही से सांसद रहते हुए डॉ जोशी अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में केंद्रीय गृहमंत्री और मानव संसाधन विकास मंत्री रहे। डॉ जोशी ने 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत की थी। जिसे विश्व में पहचान मिली। 25 जनवरी 2017 को डॉ जोशी को देश का दूसरा सर्वश्रेष्ठ नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण पुस्कार दिया गया।
कन्याकुमारी से कश्मीर तक दिया संदेश
डॉ मुरली मनोहर जोशी इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भौतिक विज्ञान के प्रोफ़ेसर से लेकर राष्ट्रीय राजनीति के पटल तक में अपना अहम स्थान लंबे समय तक बनाए रखें। अपने सिद्धांतों और शर्तो पर राजनीति करने वाले नेता डॉ जोशी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता से लेकर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक की कमान संभाली। आतंकवाद के खिलाफ सशक्त आवाज तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष के तौर पर 26 जनवरी 1992 को श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहरा कर उन्होंने उठायी कन्याकुमारी से कश्मीर तक एकता यात्रा निकाली।
जनसंघ से जेपी आन्दोलन तक निभायी भूमिका
पूर्व विधायक और डॉ जोशी के बेहद करीबी रहे प्रभा शंकर पाण्डेय बताते है की 1994 में जोशी जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए 1949 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के स्थापना में उन्होंने अहम भूमिका निभाई 1953 में संगठन के राष्ट्रीय महामंत्री पद की जिम्मेदारी मिली 1952 में जब डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अखिल भारतीय जन संघ की स्थापना की उस समय से ही डॉ जोशी जनसंघ में भी सक्रिय हो गये । 1954 में गौ रक्षा आंदोलन और 1955 .56 में किसान आंदोलन में हिस्सा लिया। 1957 में इलाहाबाद जनसंघ के संगठन मंत्री नियुक्त हुए 1974 में जेपी आंदोलन में भागीदारी की आपातकाल के दौरान 19 महीने मीसा बंदी रहे।1998 में जो भारत को पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था डॉ जोशी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय का कार्यभार संभाल रहे थे। 1962 से डॉ जोशी के करीबी रहे और 1996 -1999 में चुनाव के प्रभारी राघवेंद्र मिश्रा कहते है की जो काम डॉ जोशी ने इलाहाबाद से केंद्र तक जो काम किया वह कोई नहीं कर सकता।
शहर को उनकी सौगात
लोकसभा चुनाव में डॉ मुरली मनोहर जोशी अपनी पुरानी सीट पर लौट सकते है इस बात की चर्चा बहुत तेज़ी से चल रही है लेकिन लालकृष्ण आडवाणी का टिकट कटने के बाद सभी डॉ जोशी और पार्टी के निर्णय का इंतज़ार कर रहे है। कभी देश के पटल पर भारत माँ की धरोहर अटल, आडवाणी ,मुरली मनोहर का नारा गूंजता था ।आज उनके समर्थक उनकी ही पार्टी में उनके राजनीतिक भविष्य पर पशोपेश में है। डॉ जोशी ने इलाहाबाद को न्य कलेवर दिया। जिसमें यमुना नदी पर बनाया गया देश का पहला केबल ब्रिज, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना ,एमएलएनआर को एमएनएनआईटी के रूप में एनआईटी को दर्जा दिलाया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने का निर्णय लिया गया।
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