scriptएफसीआई के हजारों मजदूरों को राहत, वेतन कटौती पर रोक | FCI Labors Got big relief from Allahabad High court | Patrika News

एफसीआई के हजारों मजदूरों को राहत, वेतन कटौती पर रोक

locationप्रयागराजPublished: Jan 12, 2018 11:06:03 pm

Submitted by:

Akhilesh Tripathi

कोर्ट ने मजदूरों के वेतन से कटौती के निगम द्वारा जारी दो सर्कुलरों 17 जनवरी 2017 व 18 अप्रैल 2017 पर रोक लगा दी है ।

allahabad High court

इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद. भारतीय खाद्य निगम के प्रदेश के हजारों मजदूरों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने मजदूरों के वेतन से कटौती के निगम द्वारा जारी दो सर्कुलरों 17 जनवरी 2017 व 18 अप्रैल 2017 पर रोक लगा दी है और निगम से याचिका पर एक माह में जवाब मांगा है। मजदूरों को गलत वेतन निर्धारण के चलते अधिक भुगतान हो गया, जिस पर केन्द्रीय श्रम न्यायाधिकरण नई दिल्ली कड़कडूमा अदालत ने निगम के पक्ष में अवार्ड दिया। जिस पर निगम ने पूरे देश में श्रमिकों के वेतन से कटौती का आदैश जारी किया है। देश की कई हाई कोर्टों द्वारा रोक लगाये जाने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी प्रदेश के मजदूरों के वेतन से कटौती पर रोक लगा दी है। याचिका की अगली सुनवाई 27 मार्च को होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति राम सूरत राम मौर्या ने एफसीआई मजदूर संघ हापुड़ के महासचिव जुबैर अहमद की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता बी.एन सिंह व प्रमेन्द्र प्रताप सिंह ने बहस की। निगम की तरफ से अधिवक्ता एस.के मिश्र ने पक्ष रखा। याचिका में निगम के सर्कुलरों के अलावा 5 जुलाई 2016 के अवार्ड को भी चुनौती दी गयी है। कोर्ट ने कहा कि मुद्दा विचारणीय है। उत्तर प्रदेश के शैलो डिपो, कूड़ाघाट डिपो गोरखपुर में कार्यरत मजदूरों के मासिक वेतन से कटौती का आदेश जारी किया गया है। याचिका की सुनवाई 27 मार्च को होगी।
गैर उपयोगी अधिग्रहीत जमीन वापसी की याचिका खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आगरा के नागला राम बख्श गांव की राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए अधिग्रहीत जमीन की गैर उपयोगी भूमि की वापसी की मांग को लेकर दाखिल याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खण्डपीठ ने सतीश चन्द्र व बारह अन्य किसानों की याचिका पर दिया है। याचिका के अनुसार याचियों की जमीन नेशनल हाईवे एक्ट के तहत अधिग्रहीत की गयी है। सभी को मुआवजे का भुगतान कर दिया गया और प्राधिकरण ने जमीन को कब्जे में ले लिया। बहुत सी अधिग्रहीत जमीनों का प्राधिकरण ने उपयोग नहीं किया। जिस पर किसानांे ने खाली जमीन की वापसी की मांग की। कहा गया कि गैर उपयोगी जमीन को याचियों के पक्ष में पट्टा कर दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि अधिग्रहीत जमीन को लीज पर वापसी की मांग करना गलत है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो